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जेम्स कॉर्बेट के दिल में बसता था हिन्दुस्तान मगर सांसो में उत्तराखंड

महिला 64 जेम्स कॉर्बेट के दिल में बसता था हिन्दुस्तान मगर सांसो में उत्तराखंड

नई दिल्ली। जेम्स कॉर्बेट वैसे तो इनके शरीर में आयरिश खून था लेकिन हिन्दुस्तान से उनका लगाव किसी से छिपा नहीं है एक फेमस शिकारी होने के कारण कई आदमखोर बाघ और वन्य जीव उनकी गोली के शिकार बने लेकिन एक घटना से आहत कॉर्बेट बाद में वन्य जीवों के संरक्षणकर्ता बन गए जिस जमाने में लोग बाघ के खून का प्यासा दरिंदा कहा करते थे।

महिला 64 जेम्स कॉर्बेट के दिल में बसता था हिन्दुस्तान मगर सांसो में उत्तराखंड
james adverd carbed

उस दौर में उन्होंने बाघ को जंगल का जेंटलमैन की संज्ञा दी थी उनकी इसी संरक्षणवादी सोच को देखते हुए हेली नेशनल पार्क का नाम बाद में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क रख दिया गया। आयरिश मूल के निवासी जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल जिले के कालाढूंगी में हुआ था उनके पिता कालाढूंगी मे ही पोस्टमास्टर थे जिम कॉर्बेट के सिर से चार साल की उम्र में ही उनके पिता का साया उठ गया था बचपन से ही उन्होंने अपना जीवन जल जंगल और जमीन के बीच गुजारा यही वजह थी कि वह जंगल के जीवन से भालीभांति परिचित थे।

जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट के किस्से यूं तो हर किस्से यूं तो हर शख्स की जुंबा पर रहते हैं हर कोई जानता है कि वह फेमस लेखक शिकारी कारपेंटर फोटोग्राफर पर्यावरण और वैघ होने के साथ साथ फुटबाल और हॉकी के अच्छे खिलाड़ी थे उन्हें कुमाऊंनी और गढ़वाली भाषा बोलने में दक्षता हासिल थी।

मैनइटर्स ऑफ कुमाऊं मैनइटर्स ऑफ लैपर्ड ऑफ रुद्रप्रयाग टेंपल टाइगर जंगल लोर ट्री टाप्स माई इंडिया जैसी पुस्तकें लिखकर वह आयरिश मूल के भारतीय लेखक के रुप में दुनिया के में उन्होंने अपनी पहचान बनाई।

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