नई दिल्ली। किसी भी मनुष्य की कुडंली में अगर शनि की साढ़ेसाती और ढैया होती है तो उसे कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है। 24 जून और 18 नवंबर 2017 को शनिवार के दिन शनि अमास्वया मनाई जाती है यह अमावस्या पितृकार्येषु के रुप में भी जानी जाती है कालसर्प के दोष से मुक्ति शनि की ढैया या साढ़ेसाती सहित शनि के अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता हैं जब शनिवार के दिन अमावस्या का समय हो जिस कारण इसे शनि अमावस्या कहा जाता हैं।
शनि अमावस्या पूजन विधि
पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाह्न करे और शनि देव के दर्शन करे शनिदेव पर नीले पुष्प बेल पत्र अक्षत अर्पण करे शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र ओह्म् शं शनैश्चराय नम: का जाप करे।
शनि अमावस्या का महत्व
शनि अमावस्या ज्योतिषशास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती एवं ढ़ैय्या के दौरान शनि व्यक्ति को अपना शुभाशुभ फल प्रदान करता है। शनि अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन शनि देव को प्रसन्न करके व्यक्ति शनि के कोप से अपना बचाव कर सकते हैं। पुराणों के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनि देव को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है. शनि अमावस्या के दिन शनि दोष की शांति बहुत ही सरलता कर सकते हैं। इस मंत्र का जाप कर विशेष फल प्राप्त कर सकते हैं।
शनैश्चरी अमावस्या पर शनिवार को जूनी इंदौर शनि मंदिर सहित शहर के सभी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। पूरे शहर में आज शनैश्चरी अमावस्या पर कई आयोजन हो रहे हैं। आषाढ़ माह में 10 वर्षों बाद यह अमावस्या आई है। तिल, तेल से भगवान शनि देव का विशेष अभिषेक, श्रृंगार किया गया।
जूनी इंदौर स्थित प्राचीन शनि मंदिर में अलसुबह से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। आषाढ़ माह में वर्ष 2007 में शनैश्चरी अमावस्या आई थी। यहां भगवान का फूलबंगला सजाकर विशेष श्रृंगार किया गया। तिल, तेल से भगवान का अभिषेक किया गया। जवाहर मार्ग स्थित मंदिर में भी नवग्रह पूजन, महाभिषेक और आरती हुई। इसी प्रकार एमजी रोड, बाणगंगा नाका, जेल रोड, सहित सभी शनि मंदिरों में पूजन, महाआरती, प्रसादी वितरण आदि आयोजित किए गए।