नई दिल्ली। किशोराव्स्था बहुत ही नाजुक मोड़ होता है। इस समय बच्चों के मन में की तरह के बदलाव होते रहते हैं। इसके चलते की बार बच्चे अवसाद में चले जाते हैं। आजकल के बच्चे अपने इस दौर में स्मार्टफोन में खुशियां ढूंढते हैं।
स्मार्टफोन उन्हें बर्बाद कर रहा है।जो किशोर स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन्स पर अधिक समय बिताते हैं उनके अवसादग्रस्त होने और उनमें आत्महत्या की प्रवृत्तियां दिखाई देने का खतरा हो सकता है। अमेरिका में फ्लोरिडा स्टेट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि आप स्मार्टफोन पर जितना वक्त बिताते हैं उसे अवसादग्रस्त होने और आत्महत्या के लिए खतरा माना जाना चाहिए।
शोधकर्ताओं ने पाया कि इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर पांच से ज्यादाघंटे बिताने वाले बच्चों में 48 फीसदी में आत्महत्या से संबंधित प्रवृत्तियां देखी गई। इसके मुकाबले इलेक्ट्रॉनिक उपरकणों पर एक घंटे से कम समय बिताने वाले किशाराव्स्था में पहुंच रहे बच्चों में से 28 प्रतिशत में ऐसी प्रवृत्तियां देखी गई।