नई दिल्ली। योगी के सत्ता संभालते ही एक बार से राम मंदिर का मुद्दा गर्मा गया है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को कोर्ट से बाहर सुलझाने की सलाह दी है। कोर्ट की सलाह के बाद सुब्रमण्यम स्वामी स्वामी ने इस मामले पर जल्द सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी जिसे कार्ट ने ठुकराते हुए कहा था कि कोर्ट ने पास मामला सुलझाने के लिए पर्याप्त समय नहीं है। याचिका खारिज करने के बाबजूद एक बार फिर से सुब्रमण्यम स्वामी एक बार फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले हैं।
स्वामी ने ट्विट कर कहा,’ मई महीने की शुरुआत में मैं राम मंदिर मुद्दे को लेकर नए आवेदन के साथ सुप्रीम कोर्ट वापस आऊंगा।’
I will return to SC with a new Application in early May on the Ram Temple issue
— Subramanian Swamy (@Swamy39) April 3, 2017
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
कोर्ट ने स्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि इस विवाद की सुनवाई जल्द की जाए। कोर्ट ने कहा कि ये एक गंभीर मामला है इसलिए सभी पक्षकारों को और समय दिया जाए ताकि वो ठीक तरह से इस मसले पर विचार -विमर्श कर लें। हम इसमें कोई डेडलाइन नहीं दे सकते। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जैसे ही तीनों पक्षकार किसी फैसले पर पहुंचते है तब इस मामले की सुनवाई हो सकती है। हालांकि कोर्ट में आज मध्यस्थता के मुद्दे पर कोई भी बात नहीं हुई।
स्वामी ने की कोर्ट के आदेश की अवहेलना
इस पूरे मामले पर मीडिया से बात करते हुए वक्फ बोर्ड के वकील अनूप जॉर्ज चौधरी ने कहा कि अदालत अलग से बेंच का गठन करेगी क्योंकि 10,000 पेज का हलफनामा दायर किया गया है। अदालत ने इस मामले के बारे में हिदायत देते हुए कहा था कि मीडिया के सामने किसी भी तरह की बयानबाजी करने से बचें क्योंकि ये एक धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ मामला है। लेकिन स्वामी ने मीडिया के सामने जाकर कोर्ट ने आदेश की अवहेलना की है।
स्वामी का ट्वीट, निकालेंगे कोई और रास्ता
अदालत के फैसले के आते ही बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब ने कोर्ट के फैसले को स्वागत किया है। साथ ही स्वामी की याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि स्वामी कोई पार्टी नहीं है मामले का फैसला कोर्ट को ही करने दें। वहीं कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद सुब्रमण्यम ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए लिखा, आज सुप्रीम कोर्ट ने मुझसे पूछा है कि क्या मैं अयोध्या मामले में एक पार्टी हूं। तो मैं उनको ये कहना चाहता हूं कि किसी भी मामले के बारे में अपनी राय देना मेरा मौलिक अधिकार है।