(5) माता स्कंदमाता– इनकी आराधना विशुद्ध चक्र में ध्यान कर की जाती है। सुख-शांति व मोक्ष की दायिनी हैं। मंत्र- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नमः।
(6) माता कात्यायनी– आज्ञा चक्र में ध्यान कर इनकी आराधना की जाती है। भय, रोग, शोक-संतापों से मुक्ति तथा मोक्ष की दात्री हैं। मंत्र- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नमः।
(7) माता कालरात्रि– ललाट में ध्यान किया जाता है। शत्रुओं का नाश, कृत्या बाधा दूर कर साधक को सुख-शांति प्रदान कर मोक्ष देती हैं। मंत्र- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कालरार्त्यै नमः।
(8) माता महागौरी– ध्यान कर इनको जपा जाता है। इनकी साधना से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। असंभव से असंभव कार्य पूर्ण होते हैं। ऊं ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नमः। (9) माता सिद्धिदात्री- मध्य कपाल में इनका ध्यान किया जाता है। सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं। मंत्र- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नमः। विधि-विधान से पूजन-अर्चन व जप करने पर साधक के लिए कुछ भी अगम्य नहीं रहता।
विधान– कलश स्था पना, देवी का कोई भी चित्र संभव हो तो यंत्र प्राण-प्रतिष्ठायुक्त तथा यथाशक्ति पूजन-आरती इत्यादि तथा रुद्राक्ष की माला से जप संकल्प आवश्यक है। जप के पश्चात अपराध क्षमा स्तोत्र यदि संभव हो तो अथर्वशीर्ष, देवी सूक्त, रात्रिु सूक्त, कवच तथा कुंजिका स्तोत्र का पाठ पहले करें। गणेश पूजन आवश्यक है। ब्रह्मचर्य, सात्विक भोजन करने से सिद्धि सुगम हो जाती है।