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3 हजार निदेशक धराए, हर व्यक्ति था 20-20 कंपनियों मेंडॉयरेक्टर

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नई दिल्ली। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की आरंभिक जांच में फर्जी कंपनियों के डॉयरेक्टर्स को लेकर कई तथ्य सामने आए। जांच एजेंसियों ने 3 हजार से ज्यादा ऐसे कंपनी निदेशकों को अयोग्य घोषित कर दिया, जो 20 से ज्यादा कंपनियों में निदेशक बने बैठे थे। इतना ही नहीं 3 लाख 9 हजार कंपनी निदेशक सरकारी एजेंसियों की जांच के घेरे में आए। साथ ही ऐसे कंपनी निदेशकों को भी अयोग्य घोषित कर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई, जिनकी कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2013-14, 2014-15 और 2015-16 में सालाना वित्तीय रिटर्न दाखिल नहीं किए थे।

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बता दें कि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय का कहना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर कालेधन और वित्तीय गड़बड़ियां करनेवालों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। जिसके लिए एसएफआईओ के उच्च अधिकारियों, जैसे डॉयरेक्टर, एडिशनल डॉयरेक्टर और असिस्टेंट डॉयरेक्टर को ये अधिकार दिए गए हैं कि वे वित्तीय गड़बड़ी करनेवाले किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं। इतना ही नहीं सरकार ने नेशनल फाइनेंसियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए) की स्थापना को लेकर प्रक्रिया तेज कर दी है। एनएफआए, एक स्वतंत्र संस्था होगी, जो वित्तीय आलेखों की जांच करेगी, लेखांकन मानकों का निर्धारण करेगी और गैर-अनुशासित वित्तीय प्रोफेशनल्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। इसके अलावा एक सॉफ्टवेयर ‘एर्ली वॉर्निंग सिस्टम (ईडब्ल्यूएस)’ विकसित किया जाएगा, जो इस विनियामक तंत्र को मजबूत करेगा।

वहीं किसी भी कंपनी को निवेश के लिए कंपनियों के दो स्तर बनाने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही ऐसी वित्तीय गड़बड़ियां करनेवाले वित्त पेशेवरों के खिलाफ कार्रवाई और उनके खिलाफ शिकायतों की जांच होगी। इसके अलावा चॉर्टेड एकाउंटेंट (सीए), कंपनी सेकेट्ररी (सीएस) एवं कॉस्ट एकाउंटेंट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की प्रक्रिया में बदलाव के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है।

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