फतेहपुर। प्रदेश के सियासी दल भले ही चुनाव में मस्त हो लेकिन शीत लहर और भीषण कोहरे से अन्नदाता परेशान है। एक तो सिस्टम की मार ऊपर से कुदरत का कहर कड़ाके की ठिठुरन भरी सर्दी के बीच आलू से लेकर दलहन और तिलहन की फसलों को बर्बाद होते देख अन्नदाताओं को अपनी फसल को बचाने पसीने छूट रहे है। इतना ही नही सरकारी तंत्र से भी उन्हें वो मदद नही मिल पा रही जिसको लेकर बड़े बड़े दावे किए जाते है।
मामला यूपी के फतेहपुर जिले के किसानों का है। जहां एक तरफ सिस्टम की मार से परेशान है वहीं दूसरी तरफ कोहरे की चपेट से सैकड़ों बीघे आलू तिलहन और दलहन की फसल बर्बादी की कगार पर है। ठंड की चपेट पर आयी सरसों व अरहर की बाली ने किसानों की खुशहाली पर संकट के बादल खड़े कर दिये है। ऐसे में चुनावी माहौल भी उनको नहीं भा रहा है।
मजबूर और बेबस किसान का दर्द सिर्फ कुदरत से नहीं उसका मानना है। उसकी फसल के बचाव के लिए शायद सरकार से कुछ मदद मिल जाए। सिस्टम की भारी उदासीनता साथ ही कुदरत की बेरुखी ने अन्नदाता किसान को पूरी तरह बर्बादी के साथ ही भुखमरी के भी कगार पर खड़ा कर दिया है। परेशान किसानों को उनकी लागत निकल पायेगी। इस पर बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है । ऊपर से किसानों के लिए सियासी दलों के लंबे चौड़े दावे अब परेशानी का सबब बन हुए है।
मुमताज़ अहमद इसरार, संवाददाता