नई दिल्ली। वस्तु एंव सेवा कर जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स 30 जून की रात 12 बजे संसद में लॉन्च किया जाना है ये बहुत ही निर्णायक फैसला है। जीएसटी ने यहां तक पहुंचने के लिए लम्बा सफर तय किया है देश में पहली बार एक देश एक टैक्स की बात राजीव सरकार के दौरान वित्तमंत्री रहे वीपी सिंह ने कही थी। उसी बात को लेकर अलग अलग रुपो में सरकार आगे बढ़ी तो जीएसटी सामने आया गजब की बात तो ये हुई कि जब सत्ता में भाजपा रही तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया कांग्रेस आई तो बीजेपी ने इसका विरोध किया।
एक नजर जीएसटी के सफर पर
देश में जीएसटी जैसे कर सुधार की शुरुआत राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुई तब वीपी सिंह वित्तमंत्री थे और वे 1986 में मोडिफाइड वैट की नीति लेकर आए थे।
इसके बाद नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह ने वैल्य़ू एडेड टैक्स पर चर्चा शुरु की थी तब यब व्यवस्था राज्यों तक ही सीमित थी।
इसी सोच पर आगे बढ़ते हुए अटल सरकार में मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1 जनवरी 2000 से राज्यो के बीच बिक्रि कर की लड़ाई को समाप्त करने और विभिन्न वस्तुओं के बिक्री करो के लिए एक समान दर रखने का निर्णय लिया था।
राज्य में वित्त मंत्रियों की कमेटी गठित की गई थी जिसकी अध्यक्षता पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता को सौंपी गई थी।