नई दिल्ली। भारत की न्यायापालिका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने सार्वजनिक तौर पर प्रेस वार्ता की। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस रंजन गोगोई मीडीया से मुखातिब होने वाले पहले न्यायाधीश बन गए हैं। इस दौरान चारों जजों ने साझा प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस को बुलाने का निर्णय हमें मजबूरी में लेना पड़ा है। इस दौरन जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि उनके पास मीडिया के सामने आने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था क्योंकि देश का लोकतंत्र खतरे में है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक ढ़ंग से काम नहीं कर रहा है इसलिए अब चीफ जस्टिस पर पूरे देश को एक साथ मिलकर फैसला लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट में नंबर 2 के जज की हैसियत रखने वाले चेलामेश्वर ने कहा कि करीब दो महीने पहले हम चारों जजों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा और उनसे मुलाकात की। इस दौरान हमने उन्हें बताया कि जो कुछ भी हो रहा है वो सब सही नहीं है और सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है। जस्टिस ने कहा कि सीजेआई से अनियमितताओं पर बात की गई थी और कोर्ट में चल रही कई गड़बड़ियों की शिकायत भी की गई थी।
उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते की जो पिछले 20 सालों में नहीं हुआ वो अब हो क्योंकि अब न्यायापालिका की निष्ठा पर सवाल उठने लगे हैं, लेकिन सीजेआई कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। चेलमेश्वर ने कहा कि हमारे पत्र पर अब राष्ट्र को विचार करना है कि सीजेआई के खिलाफ महाभियोग चलाया जाना चाहिए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन सही से नहीं चल रहा है। बीते कुछ महीनों से काफी गलत चीजें हो रही हैं।
जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि हम वे पत्र सार्वजनिक करेंगे, जिससे पूरी बात स्पष्ट हो जाए। चेलमेश्वर ने कहाकि 20 साल बाद कोई ये न कहे कि हमने अपनी आत्मा बेच दी है इसलिए हमने मीडिया से बात करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि भारत समेत किसी भी देश में लोकतंत्र को बरकरार रखने के लिए ये जरूरी है कि उसकी सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था सही ढंग से काम करे।