सहारनपुर। बीते दिनों यूपी की राजनीति में एक बार फिर जातीय राजनीति का पारा गरम हो गया था । सहारनपुर में दलितों और उच्च जातिवर्गों के बीच संघर्ष बड़ा और गम्भीर रूप लेता चुका था। हिंसा के मामले में एक शख्स की मौत हो गई है। जबकि दर्जनों की संख्या में लोग घायल हुए थे। पूरा मामला सहारनपुर में मायावती की रैली के बाद लौट रहे लोगों पर हुए हमले को लेकर है। जिसके हिंसा ने फिर से उग्र रूप धारण कर लिया है। सारी वारदात बस एक माह के भीतर की है।
इसके बाद इस घटना की गम्भीरता को देखते हुए योगी सरकार ने ने मृतक के परिजनों को 15 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये आर्थिक सहायता दिए जाने की घोषणा की थी। साथ ही जिले की कानून व्यवस्था को लेकर हिंसा की वारदातों को कंट्रोल ना कर पाने के चलते आखिरकार एसएसपी सुभाष चंद्र दूबे और डीएम को निलंबित कर दिया था। इसके साथ गृह सचिव को भी सीएम की फटकार लगाई थी। इसके अलावा डीआईजी और कमिश्नर के भी तबादले हुए थे।
इसके पहले पूरा मामला सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में महाराणा प्रताप शोभायात्रा के दौरान हुए एक विवाद हुआ था । जिसने एक हिंसक रूप ले लिया था ।जिसके बाद कई जाति के लोग दलितों पर अत्याचार करने का मामला सामने आया। जिसमें दलितों के घर जलाने की बात सामने आई। इस मामले में भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इसके बादभीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचकर प्रदर्शन किया था। जिसके बाद से ये हिंसा ऐसे ही भड़की हुई थी।
अब इस मामले में सहारनपुर में हुई दलितों पर हिंसा मामले की न्यायिक जांच कराने की जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस एम के गुप्ता ने नोटिस जारी कर सरकार और सभी पक्षों से जवाब मांगा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी । कोर्ट ने कहा है कि सरकार की ओर से पूरे मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। अब तक हुई जांच में एसआईटी को का जानकारियां मिली हैं।
इसके साथ ही कोर्ट ने मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव गृह समेत एसएसपी सहारनपुर को नोटिस जारी करते हुएअब तक मामले को लेकर की गयी कार्रवाई की प्रोग्रेस रिपोर्ट भी तलब की है।गौरतलब हो कि दंगे को लेकर रामेन्द्र नाथ ने जनहित याचिका दाखिल की थी।