बस्ती ।भूत प्रेत और शैतान की बाते सुनते ही हर किसी के जेहन में बस एक ही बात आती है कि इन लोगो से कभी उनका सामना न हो। मगर बस्ती में एक ऐसी जगह है जहां सजता है भूतों का मेला बुरी आत्माओं और शैतानों को यहां बुलाकर उन्हे सबक सिखाने का होता है खुला खेल।
नगर थाना क्षेत्र के महुआ डाबर गांव में बने वर्षो पुराने हजरत सैयद अब्दुल लतीफ के मजार पर कुछ ऐसा ही नजारा सजता है। जहां इंसान के रूप में शैतानों को मजार वाले बाबा अपनी शक्ति से बुलाकर यहां हाजिरी लगवाते हैं। इसके बाद इन शैतानों को बाबा द्वारा सजा दी जाती है और जिन इंसानो पर ये शैतान सवार होते हैं उन्हे इससे मुक्ति मिल जाती है। इस मजार की सबसे खासियत बात यह है कि यह सब कुछ अपने आप ही होता हैए यहां दूर दूर से बुरी आत्माओं से पीडि़त लोग आते हैं और अपना ईलाज करवाते हैं।
तस्वीरों में भारी संख्या में मजार के अंदर शांत बैठे लोगों को देखकर तो आपको पहले कुछ समझ में नहीं आयेगा मगर जैसे जैसे ढोल और मंजिरा बजना शुरू होता है इंसानो पर सवार शैतान जाग उठता है और अपना कत्र्तव्य दिखाना शुरू कर देता है। कोई फिरकी मारते हुये काफी दूर तक खुद को फेंक उठता है । तो कोई अपने आप को ही मारने लग जाता है। इस मेले में शामिल लोगों को अजीब अजीब सी हरकतें करता देख आप भी यह सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि 21वीं सदी में क्या यह सब कुछ मुमकिन है।
मगर चैकिंये मत यह कोई आम मेला नहीं बल्कि भूतों का मेला है इसलिये यहां सब कुछ संभव है। इस मजार पर यह सिलसिला एक दो साल से नहीं बल्कि कई दसकों से चलता आ रहा है। लोगों की इस मजार वाले बाबा को लेकर मान्यता है कि यह अदभुत मजार है जहां शैतानों को बाबा खुद बुलाते हैं चाहे वह दुनियां में कहीं भी हो। महिलाएं हो या फिर छोटी छोटी बच्चियांए सब पर सवार शैतानों को पहले जगाया जाता है और फिर उन बुरी आत्माओं का मजार पर खेल शुरू होता है।
शैतान के जागते ही मेले में आया वह इंसान खुद के बस में नहीं रह जाता जिसके उपर प्रेत का साया सवार होता है। शैतानी शक्तियों के जागते ही वह तेजी से इधर उधर भागने लग जाता है जिसे पकड़ना उसके परिवार वालों के लिये काफी मुश्किल हो जाता है। कुछ तो इस तरह से बेसुध होती है जिसे देखकर आप की भी रूह कांप जाये। ऐसी शैतानी शक्तियो पर उनके परिवार वाले चादर डाल देते है और कुछ देर बाद फिर वह प्रेत इंसानी शरीर को पटकना शुरू कर देता है।
इस मजार के प्रति लोगों की आस्था में आज भी कोई कमी नहीं है। भूतों का यह मेला एक दो दिन में नहीं सजता बल्कि काफी दिनों से ऐसे शैतान यहां धीरे धीरे जुटते हैं जिन्हे बाबा द्वारा बुलाया जाता है। उसके बाद गुरूवार को इस मजार पर भूतों की महफिल सजती है। वैज्ञानिक तौर पर भले ही भूत शब्द का अस्तित्व न हो मगर बस्ती में सजने वाला यह भूतों का अजीबो गरीब मेला देखकर हमारे और आपके अंदर बहुत से सवाल छोड़ जाता है जिसका जवाब किसी के पास नहीं।
राकेश गिरि, संवाददाता