वाराणसी। भक्तों के प्रेम में अत्यधिक स्नान के बाद बीमार हुए प्रतीक रूप से भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होते ही शनिवार को मनफेर के लिए बहन सुभद्रा भइया बलभद्र के साथ ससुराल की सैर पर डोली से निकल पड़े। इसी के साथ काशी के लक्खा मेले में शुमार लगभग 215 साल पुराने रथयात्रा मेले का आगाज हो गया।
इसके पूर्व अस्सी स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में सुबह पांच बजे मंदिर का पट खुला। 5.30 बजे पुजारी पं राधेश्याम पाण्डेय की अगुवाई में मंगला आरती हुयी। विष्णुसहस्रनाम का पाठ के बीच प्रात: आठ बजे परम्परानुसार प्रभु को परवल के काढ़े का भोग लगा (प्रभु लीला का यह प्रसंग ग्रीष्म और वर्षा ऋतु के संधिकाल में लोगों को संयमित आहार-विहार का दिव्य संदेश देता है)। इस दौरान प्रभु श्वेत वस्त्र में भक्तों को दर्शन भी देते रहे।
इसके बाद महा नैवेद्य का भोग लगाया गया। दोपहर में आराम के बाद अपरान्ह तीन बजे मंदिर का पट खुलते ही प्रभु की कपूर आरती हुयी। जिसमें ट्रस्ट श्री जगन्नाथ के सचिव शापुरी परिवार ने भी हिस्सेदारी की। फिर 3.30 पर प्रभु और भाई बहन के विग्रह का डोली श्रृंगार हुआ। परम्परानुसार शाम चार बजे विग्रह को गाजे बाजे मंगलध्वनि के बीच डोली पर विराजमान कराया गया। डोली को आगे पीछे चार-चार कहारों ने उठाया। इसी के साथ प्रभु सैर के लिए निकल पड़े। प्रभु की डोली को कांधा देने के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।
डोली यात्रा जगन्नाथ मंदिर से परम्परागत मार्ग दुर्गाकुण्ड, नबाबगंज खोजवां, शंकुलधारा, कमच्छा, बैजनत्था, होते हुए रथयात्रा स्थित बेनीराम बाग शापुरी भवन पहुंचीं। यहां पुजारियों और शापुरी परिवार के वरिष्ठ सदस्य दीपक शापुरी आलोक शापुरी ने डोली यात्रा और उसमें शामिल साधु सन्तो स्वयं सेवको, पुजारियो, नागरिको का स्वागत कर विधि विधान से पूजन अर्चन किया। यहां प्रभु अपने परिवार के साथ कुछ समय के लिये विश्राम करेंगे फिर रात में ही भगवान को रथारूढ कर रथयात्रा स्थित मेला क्षेत्र में पहुंचाया जायेगा। रविवार की भोर में श्रृंगार व मंगला आरती होने के बाद रथारूढ़ प्रभु जगन्नाथ मंदिर के पट भक्तजनों के लिए खुल जायेगा।
स्मरण रहे, ज्येष्ठ माह की भीषण गर्मी से रात दिलाने के लिए श्रद्धालुओ ने ज्येष्ठ पूर्णिमा पर प्रभु का जमकर जलाभिषेक किया। इससे भगवान अस्वस्थ हो गये और 15 दिन तक आराम किया।
अष्टकोणीय रथ की उतारी आरती
भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा स्थित बेनीराम बाग पहुंचने के साथ ही चौराहे के पास भोर में ही लाकर खड़े किए गए अष्टकोणीय रथ की आरती उतारी गई। तीन दिनी उत्सव के दौरान प्रभु, भइया बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ इस रथ पर ही विराजेंगे। इससे पहले बेनीराम बाग स्थित पंचमुखी हनुमान का पूजन अनुष्ठान किया गया। ट्रस्ट सचिव आलोक शापुरी, ट्रस्टी दीपक शापुरी, संजय शापुरी, शैलेश शापुरी, लक्ष्मीधर मिश्र, हिमांशु मिश्रा, आदि ने डोली को कंधा दिया और अगवानी की। उधर मेला स्थल पर खिलौनो की दुकानें और चरखी झूले सज गए। परम्परागत नानखटाई की अस्थायी दुकानें भी लग गयी है।