नई दिल्ली। गुरमेहर के जांबाज पिता शहीद कैप्टन मनदीप सिंह कारगिल युद्ध में नहीं बल्कि कुपवाड़ा में छह अगस्त, 1999 को शहीद हुए थे जब आतंकियों ने चार राष्ट्रीय राइफल्स कैंप पर हमला बोला था। कारगिल की जंग 26 जुलाई, 1999 को ही खत्म हो चुकी थी ।
पिछले कुछ दिनों से गुरमेहर कौर के साथ ही उसके पिता का शहीद कैप्टन मनदीप सिंह का नाम भी सुर्खियों में है। कीर्ति चक्र से सम्मानित कैप्टन मनदीप सिंह इंडियन आर्मी की 49 आर्म्ड डिविजन रेजीमेंट के साथ थे। हमले में कैप्टन मनदीप ने बहादुरी से आतंकियों का सामना किया और उन्हें मार गिराया था । उनकी बहादुरी के लिए उन्हें सर्वोच्च पुरस्कार कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया गया था।
उलेखनीय है बेटी गुरमेहर कौर ने दावा किया था की उनके पिता कैप्टन मनदीप सिंह करगिल की जंग में शहीद हुए थे । दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में एक सेमिनार को लेकर दो छात्र संगठनों के विवाद के बीच दिल्ली यूनिवर्सिटी की गुरमेहर ने आरोप लगाया था कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विरोध में आवाज़ उठाने पर उसको सोशल मीडिया पर रेप की धमकी मिल रही है। रामजस में हुई झड़प के बाद गुरमेहर कौर ने अपने फेसबुक पेज पर कुछ पोस्ट डाले थे। उसके हाथ में एबीवीपी के विरोध के बैनर के साथ लिखा था कि मेरे पिता को पाकिस्तान ने नहीं, युद्ध ने मारा है ।