जयपुर। विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण मामले में रविवार को सरकार और गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के बीच वार्ता हुई। सरकार की ओर से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी, पंचायत राज मंत्री राजेन्द्र राठौड़ और सामान्य प्रशासन मंत्री हेमसिंह भड़ाना मौजूद थे। पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने बताया कि विशेष पिछड़ा वर्ग के जिन अभ्यर्थियों की सरकारी नौकरियां लग चुकी हैं या जिनकी प्रक्रियाधीन हैं, उनकी नौकरी को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि सरकार की नीति, नियत एवं इच्छाशक्ति में विशेष पिछड़ा वर्ग के आरक्षण देने में किसी तरह का खोट नहीं हैं। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी लगा दी गई है और इसकी सुनवाई 28 जनवरी को होगी। सुप्रीप कोर्ट में इस एसएलपी की पैरवी मजबूती से भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी करेंगे। उन्होंने बताया कि विशेष पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के सम्बंध में मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों द्वारा केन्द्र के समक्ष भी मजबूती से पक्ष रखा है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे इस मामले को गंभीरता से ले रही हैं और अपने स्तर पर निरन्तर निगरानी रख रही हैं। विशेष पिछड़ा वर्ग के बच्चों की छात्रवृत्ति पूर्व की तरह नियमित दी जाएगी। इसके साथ ही वर्ष 2016-17 के आवेदन पत्रों में पूर्व में जारी जाति प्रमाणपत्रों को मान्य माना जाएगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि विशेष पिछड़ा वर्ग से आरक्षण के सम्बंध में न्यायाधीश सुनील कुमार गर्ग की अध्यक्षता में हाईपावर समिति का गठन कर दिया गया है।
समिति ने सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन का सर्वे का कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि हाईपावर समिति शीघ्र अपनी रिपोर्ट तथ्यात्मक आकड़ों के साथ प्रस्तुत करेगी। उन्होंने विशेष पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधयों को हाइपॉवर समिति को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध करवाने और सहयोग देने का अनुरोध किया। विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों के साथ आगामी बैठक 15 फरवरी को होगी।
गुर्जर आरक्षण संघ र्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने भी वार्ता पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि सरकार कैसे आरक्षण दे यह सरकार तय करें। हमें आरक्षण चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार से एसबीसी कोटे से मिली नौकरियों को यथावत रखने के लिए कहा है। इस पर भी काफी सकारात्मक जवाब सरकार की ओर से मिला है।