दरभंगा। 1914 में पंडौल में शुरू की गई चीनी की मिल को दोबारा चालू करने के लिए सरकार की कोशिशें एक बार फिर से फेल होती दिख रही हैं। 1914 में शुरू होने के बाद 1996 में ये बंद हो गई और उसके बाद से किसानों ने इसी वजह से गन्ने की खेती करना बंद कर दिया।
बता दें कि इस बंद मिल में काम करने वाले ज्यादातर लोग अब नहीं रहे। इन कर्मियों के वेतन में 22 करोड़ रुपए 1998 से अभी तक बाकी है, इसके अलावा अभी तक गन्ना किसानों का पैसा भी नहीं दिया गया है। इस मिल के 150 एकड़ में कृषि फार्म, 75 एकड़ में कारखाना एवं कर्मियों व पदाधिकारी की आवास सहित 225 एकड़ जमीन के कई हिस्से पर अतिक्रमणकारी का अभी भी कब्जा है।
मिल परिसर में करीब 50 करोड़ का स्क्रैप पड़ा हुआ है यही नहीं इतने सालों से काम ठप पड़े होने के कारण मिल का इंजन भी वहां से गायब है। सरकार की तरफ से इस मिल को दोबारा शुरू करने के कई बार प्रयास किए गए लेकिन हर बार फेल हो गए अगर ये मिल शुरू हो जाती है तो आस पास के काफी लोगों को रोजगार मिल सकता है।
किसी समय में दरभंगा मधुबनी के करीब 15000 हेक्टेयर जमीन पर गन्ने की खेती की जाती थी लेकिन मिल के बंद हो जाने के बाद किसान और मजदूर ने गन्ने की उपज करनी छोड़ दी। किसानों को इस मिल के दोबारा शुरू होने की अभी भी सरकार से आस है, क्योंकि इससे कई लोगों को रोजगार मिल सकता है।