शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ लोन डिफॉल्ट मामले में सुनवाई के दौरान शुक्रवार को केंद्र सरकार ने कहा कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिश हो रही है। इस मसले पर 4 दिसंबर को लंदन में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो विजय माल्या की अनुपस्थिति में उनके खिलाफ सजा का एलान नहीं करेगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी और केंद्र सरकार को कहा कि जब विजय माल्या का प्रत्यर्पण हो जाए तो उसे कोर्ट में पेश किया जाए।
आपको बता दें कि 9 जून को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया था और पिछले दस जुलाई को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। लेकिन वो कोर्ट में पेश नहीं हो सका था। सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को आदेशों का पालन करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि वे अपनी संपत्ति का पूरा खुलासा करें जिसमें डिएगो से मिले 40 मिलीयन डॉलर का भी जिक्र हो। पिछले 9 मार्च को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 17 बैंकों के कंसोर्टियम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान विजय माल्या के वकील ने कहा था कि उनके पास नौ हजार करोड़ रुपये लोन चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं। हमारी सारी संपत्ति सरकार जब्त कर चुकी है। बैंकों की ओर से पेश पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि माल्या ने डियाजियो डील में चालीस मिलियन अमेरिकी डॉलर हासिल की थी उसे वापस लाए जिसे उन्होंने अपने विदेश में अपने बेटे के बैंक खाते में जमा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल से पूछा था कि वह बताएं कि किस तरह सुप्रीम कोर्ट का आदेश माल्या से लागू कराया जा सके क्योंकि वो भारत छोड़कर लंदन में रह रहा है । क्या क्रिमिनल लॉ में विजय माल्या को वापस लाने का कोई तरीका है। अटार्नी जनरल ने जवाब दिया कि हम इसके लिए कदम उठा रहे हैं। अटार्नी जनरल ने कहा कि माल्या ने डियाजियो से मिले चालीस मिलियन डॉलर के बारे में कुछ नहीं बताया। सुप्रीम कोर्ट ने माल्या से पूछा कि क्या आपने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं किया जिसके तहत आप कोर्ट की अनुमति के बिना संपत्ति को ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं।