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कश्मीर हालात पर सरकार के तीखे शब्द, कहा- जो बंदूक उठाए उसका खात्मा

पसरवस कश्मीर हालात पर सरकार के तीखे शब्द, कहा- जो बंदूक उठाए उसका खात्मा

 

श्रीनगर। कश्मीर में जारी हिंसा को लेकर भले ही विपक्ष सरकार पर लगातार निशाना साध रही हो लेकिन सरकार भी कश्मीर में जल्द शांति स्थापित करने को लेकर लगातार अश्वासन देने में पिछे नहीं हट रही है। सरकार ने कश्मीर में सारी परेशानियों से एक साथ निपटने के लिए दो टूक और दो बातों में संदेश दे डाला। सराकर का कहना है कि अशांति फैलाने वाले और आतंकियों के साथ आने वाले वक्त में बिलकुल भी नरमी नहीं बरती जाएगी।

पसरवस कश्मीर हालात पर सरकार के तीखे शब्द, कहा- जो बंदूक उठाए उसका खात्मा

बता दें कि सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने यह कह कर सरकार के तीखे तेवर का संदेश दिया कि नरमी का तो सवाल ही नहीं उठता। कश्मार में अब जो भी बंदूक उठाएगा उसका खात्मा तय है। गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में बीते करीब एक साल से हालात खराब हैं जो की काबू में आने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। करीब एक साल से आशांति का माहौल बना हुआ है। वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक वर्ष 1990 से ले कर अब तक कश्मीर में कई बार हिंसा की आग भड़की है। मगर इस बार के हालात में पहले की तुलना में कई नई और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं।

हालांकि कश्मीर में पहले जो हिंसा होती थी उसमें पूरी घाटी चपेट में आ जाती थी। लेकिन इस बार कि हिंसा बिलकुल अलग है। इस बार सिर्फ दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में ही आतंकवादी और हिंसक घटनाएं हो रही हैं। सरकार की रणनीति सख्त अभियानों के जरिए इन चार जिलों में भी हालात सामान्य बनाने की है। उक्त मंत्री के मुताबिक शिकंजा कसा जा चुका है। अगले तीन चार महीने में हालात बदल जाएंगे। कश्मीर में हिंसा प्रभावित जिलों में सेना और पुलिस को निशाना बनाए जाने के बाद विरोध के स्वर उठने का भरोसा है। खासतौर से एक सैन्य अधिकारी को मारे जाने के बाद इन जिलों में हिंसा करने वालों के खिलाफ विरोध की सुगबुगाहट है।

साथ ही उक्त मंत्री का कहना है कि कश्मीर में हिंसा का क्षेत्र लगातार सीमित हो रहा है, इसलिए पाकिस्तान इस बचे हुए इलाके में सारी ताकत झोंक रहा है। सरकार की योजना एक बार शांति स्थापित करने के बाद रोजगार और स्वरोजगार के माध्यम से लोगों का दिल जीतने की है। हालांकि सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि वार्ता सहित अन्य कोई भी पहल स्थिति के सामान्य होने से पहले शुरू नहीं की जाएगी। स्थिति सामान्य होने के बावजूद अलगाववादियों के इतर महज संविधान पर विश्वास रखने वाले लोगों-संगठनों से ही बातचीत होगी।

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