बलिया। ताजा मामला बलिया जिला चिकित्सालय का है। एक तरफ जहां सरकार चिकित्सा सुविधाओं को मुहईया कराने का दावा करती जा रही है, वहीं दूसरी जिला चिकित्सालय का प्रशासनीक अधिकारियों के कार्यशैली पर हमेशा से सवालिया निशान लगता ही जा रहा हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण बलिया जिला चिकित्सालय में देखने को मिला। एक पति ने अपनी पत्नी को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया और डॉक्टर ने महिला को सर्जीकल वार्ड में भेज दिया। जहां पति अपनी पत्नी को गोंद में लेकर इमरजेंसी से 200 मीटर की दुरी तय कर वार्ड में पहुंचा।
एक बीमार पत्नी को पति स्ट्रेचर के अभाव में अपने कन्धे पर मजबूरी में उठाकर 200मीटर तक ले जाने में कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा आप खुद ही देखकर अंदाजा लगा सकते हैं। पति अपनी पत्नी को लेकर महिला सर्जिकल वार्ड पहुंचा तो उसकी आँखों में आंसू भर आए। जब लोगों ने देखा तो सभी हैरान रह गए कि यह जिला चिकित्सालय की व्यवस्था ऐसी हो तो मज़बूरी में लोगों को प्राइवेट हॉस्पिटलों का सहारा लेना पड़ता हैं। अस्पताल परिसर में मौजूद काफी लोगों के मुंह से एक साथ यही आवाज आती सुनाई दी की (इना सुधरीयन सन), मतलब साफ था कि जनता में मौजूदा व्यवस्था को देखकर कर काफी आक्रोश व्याप्त है।
हालांकि की सरकारी अधिकारियों की जुबानी सुने तो आप भी हैरान रह जाएंगे अगर आपको जिला चिकित्सालय से स्टेचर नहीं मिलता तो गलती आपकी होंगी। क्योंकि जिलाचिकित्सालय में कर्मचारियों का आभाव हैं। इस संबंध मे जब जिला चिकित्सालय के सीएमएस महोदय से पूछा गया तो, सीएमएस महोदय ने ईमरजेंन्सी की दिवालों पर लिखे सलोगन का हवाला देते हुए, मरीज के अटेंडेन्ट को ही सीएमएस साहब न गलत करार दिया, सीएमएस, महोदय ने बिना ये पत किए कि मरीजों को अटेन्ड करने वाला कोई कर्मचारी वहां था की नही।