नई दिल्ली। देश में नक्सलवाद जैसी अंदरूनी समस्याओं से निपटने के लिए सरकार नए-नए तरीके तलाश रही है। एक तरफ जहां सरकार सुरक्षबलों की सीधी और सख्त कार्रवाई का सहारा ले रही हैं वहीं दूसरी तरफ सरकार शांतिपूर्ण तरीकोम से भी काम कर रही है। इसी तर के एक शांतिपूर्ण कदम के तौर पर सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों में इंटरनेट के प्रचार प्रसार पर जोर दे रही है। जिसका असर भी दिखाई दे रहा है। सरकारी दूरसंचार सेवा प्रदाता बीएसएनएल के अनुसार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मौन इंटरनेट क्रांति का कदम फलदायी साबित हो रहा है और इलाकों में रोजाना इंटरनेट का उपभोग 400 गीगाबाइट को पार कर गया है।
बता दें कि बीएसएनएल ने इस उपलब्धि को नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मजबूत मोबाइल संचार नेटवर्क बनाने की केंद्र सरकार की रणनीति का नतीजा बताया। केंद्र सरकार ने 2015 में यह फैसला लिया था और सिर्फ 18 महीने की अवधि में नक्सल प्रभावित इलाकों में एक मजबूत नेटवर्क तैयार कर लिया गया है। बीएसएनएल ने एक बयान में कहा कि यह तारीफ करनेवाली बात है कि हर अगले दिन डाटा का उपयोग बढ़ता जा रहा है। प्रचुर डाटा की उपलब्धता का उपयोग कर कई राज्यों के विभिन्न हिस्सों के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोग तेजी से मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं और वे सरकारी व वित्तीय सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं।
वहीं बीएसएनएल ने वीएनएल और एचएफसीएल के साथ मिलकर रिकॉर्ड 18 महीने में 2,000 से ज्यादा सौर ऊर्जा टॉवर स्थापित किए हैं। बीएसएनएल ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन मोबाइल नेटवर्क बताया, जिसके जरिए 20,000 से ज्यादा गांवों में वॉयस और डाटा की सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। वीएनएल के चेयरमैन राजीव मेहरोत्रा के अनुसार, “आदिवासी इलाकों में जहां अब तक वॉयस कनेक्टिविटी भी उपलब्ध नहीं थी, वहां अब बैंकिंग और अन्य एप्लीकेशंस के लिए डाटा को उपयोग हो रहा है।