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अलविदा 2017- तिकड़म से मिली भाजपा को गोवा में जीत

gao 1 अलविदा 2017- तिकड़म से मिली भाजपा को गोवा में जीत

नई दिल्ली। साल 2017 की शुरूआत की चुनावी दंगल से हुई थी। पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव साल की शुरूआत में राजनीतिक गरमाहट बनाए हुए थे। ये पांच राज्य थे पंजाब,गोवा,मणिपुर,उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश जिसमें भाजपा के पास पंजाब और गोवा में सरकारें थी तो कांग्रेस के पास मणिपुर और उत्तराखंड में वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। इस राज्यों में सभी पार्टियां अपनी सरकार बनाने की कवायद में जुटी हुई थीं। गोवा के चुनावी दंगल में भाजपा के सामने कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी मौजूद थी। गोवा में फिलहाल 40 विधान सभा सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 21 सीटें चाहिए थी। चुनाव के परिणामों किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। ऐसे में निर्दलयी विधायकों ने भाजपा को मनोहर पार्रिकर के नाम और चेहरे पर समर्थन दे दिया जिसके बाद भाजपा की सरकार दुबारा गोवा में बन गई। हांलाकि सरकार बनने की प्रक्रिया को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेन्ज किया था।

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भाजपा के लिए मनोहर पारिकर का चेहरा आया काम
भाजपा के लिए दक्षिण पश्चिम में गोवा का किला बचाना अहम था। क्योंकि पंजाब के हालात से भाजपा पूरी तरह से वाकिफ थी। परिणाम आने के पहले ही भाजपा ने पंजाब में बिगड़ते समीकरणों का अंदेशा लगा लिया था। लेकिन भाजपा की हालत खराब करने के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गोवा में पूरी तरह से लगी हुई थी। कदम कदम पर भाजपा को चुनौती भी मिल रही थी। गोवा में भाजपा का कोई बड़ा कैडर भी नहीं था। केवल मनोहर पार्रिकर के नाम पर ही पिछला चुनाव भाजपा ने जीता था। इस बार मनोहर पार्रिकर भाजपा की केन्द्र सरकार में मंत्री थे। ऐसे में गोवा के हालत भाजपा के लिए चुनौती पूर्ण थे। लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा ने जहां विरोधी पार्टियों के आरोपों का जबाव देते हुए। गोवा में भारतीय जनता पार्टी ने 13, कांग्रेस ने 17, एनसीपी ने एक, एमजी ने तीन, जीएफपी ने 3 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटें जीतीं तो सत्ता की बाजी ही उलट गई। किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला । लेकिन निर्दलयी उम्मीदवार के साथ क्षेत्रीय पार्टियां मनोहर पार्रिकर के नाम पर भाजपा को समर्थन देने को तैयार हो गईं। केन्द्रीय नेतृत्व ने मनोहर पार्रिकर को गोवा भेज दिया। जिसके बाद भाजपा ने राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया और सदन में अपना बहुमत साबित किया। हांलाकि इस पूरी प्रक्रिया को कांग्रेस ने राजनीति करारा देते हुए । संवैधानिक मूल्यों की हिंसा करार दिया।

जीत कर रणनीति सही ना रखने से कांग्रेस को मिली हार
कांग्रेस ने चुनाव में केवल भाजपा को टारगेट किया था। कांग्रेस को मनोहर पार्रिकर के यहां से केन्द्र में चले जाने से फायदा मिलने के आसार थे। पूरे चुनावी दंगल में कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों के साथ कोई गठजोड़ करने का प्रयास भी नहीं किया। कांग्रेस इस चुनाव को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थी, कि मनोहर पार्रिकर के केन्द्र में जाने के बाद गोवा में भाजपा का मजबूत किला और किलेबंदी अब ध्वस्त हो चुकी है। ऐसे में भाजपा से नाराज मतदाताओं को अपनी तरह कर कांग्रेस अपनी गणित साध लेगी। लेकिन कांग्रेस को भी चुनाव में बहुमत नहीं मिला । इसके साथ ही कांग्रेस के रणनीतिकारों के बीच आपसी सहमति नहीं बन पायी कि क्षेत्रीय दलों से बातचीत कर उन्होने समर्थन के लिए राजी कर सकें।

आम आदमी पार्टी का खाता भी ना खुला
गोवा चुनाव में ताल ठोंकने उतरी आम आदमी पार्टी को गोवा में मुंह की खानी पड़ हार तो हार इस कदर हुई कि आप का खाता तक नहीं खुला। पहले तो आम आदमी पार्टी में चुनाव को लेकर गोवा में कोई प्लान नहीं सामने आया दिल्ली की तरह गोवा में अरविंद केजरीवाल का जादू नहीं चला। इसके साथ ही केन्द्र सरकार को टॉरगेट करना आम आदमी पार्टी को मंहगा साबित हो गया। हांलाकि आम आदमी पार्टी ने पंजाब की तरह गोवा में भी भाजपा के किले में सेंधमारी ही की क्योंकि दोनों पार्टी में एक कॉमन टॉरगेट था वो कांग्रेस दोनों ही कांग्रेस को भ्रष्टाचार का जनक बता कर जनता के बीच थीं।

 

Piyush Shukla अलविदा 2017- तिकड़म से मिली भाजपा को गोवा में जीतअजस्र पीयूष

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