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अलग राज्य की मांग के चलते दार्जिलिंग में तेज होगा आंदोलन

sadklhj अलग राज्य की मांग के चलते दार्जिलिंग में तेज होगा आंदोलन

दार्जिलिंग। दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड की मांग में हिंसा अब और भी ज्यादा बढ़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं। अंदाजा लगाया जा रहा है कि पहाड़ पर रहने वाले लोगों में सरकार के प्रति काफी रोष आ गया है ऐसे में अलग गोरखालैंड की मांग कर रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा द्वारा की जा रही हिंसा अब और भी ज्यादा उग्र हो सकती है। केंद्र सरकार से बातचीत होने के दौरान जीजेएम आलाकमान ने बताया कि उनकी मांग को ना मानने के बाद यह आंदोलन और भी ज्यादा उग्र हो सकता है। अलग राज्य की मांग ना मानने पर जीजेएम ने अपवास रखने की बात कही है। जीजेएम का कहना है कि जब तक शरीर से प्राण नहीं चले जाते हैं तब तक वह उपवास रखेंगे। उनका कहना है कि अलग राज्य की मांग पर वह अड़े रहेंगे और इसके लिए वह आत्मबलिदान से भी नहीं कतराएंगे।

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वही गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष प्रकाश गुरूं का कहना है कि अलग राज्य की मांग के चलते वह उपवास भी करेंगे और जब तक शरीर से प्राण चले नहीं जाते हैं तब तक वह उपवास पर ही बैठे रहेंगे और सरकार ने अगर अलग राज्य की मांग नहीं मानी तो वह अपने आंदोलन को और भी ज्यादा उग्र कर देंगे। वही गोरखालैंड की मांग के चलते यहां पर हिंसा आए दिन एक नया मोड ले रही है। आए दिन यहां हिंसा के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो वही हिंसा के कारण सुरक्षाकर्मियों की भी जान जा रही है। हालांकि राज्य और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर ज्यादा गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार इस पर अभी कुछ भी बोलने से मना कर रही है। वही प्रकाश गुरूं का कहना है कि उनके आंदोलन का मुद्दा सिर्फ अलग राज्य की मांग है।

वही अब तो दार्जिलिंग में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसा अभी भी जारी है। आए दिन यहां हिंसक आंदोलन ने दार्जिलिंग की वादियों को मिटा दिया है। जहां एक तरफ लोग यहां जाने के लिए कई कई महीने छुट्टीयों का इंतजार करते थे तो वही अब लोग यहां जाने के लिए भी डर रहे हैं। आए दिन बढ़ रहे दार्जिलिंग में प्रदर्शन में अब एक और नया मोड आ गया है। जिसमें दार्जिलिंग में इंडियन आइडल 2007 के फाइनलिस्ट रहे प्रशांत तमांग ने GJM कार्यकर्ताओं का समर्थन किया है। अब GJM कार्यकर्ताओं के समर्थन में प्रशांत तमांग के उतरने के बाद इस अब इस हिंसक आंदोलन को अलग नजरिए से देखे जाने लग गया है।

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