अम्बेडकरनगर। आधी आबादी को लेकर देश में चर्चाएं हो रही हैं। विश्व में महिलाये अपने काम से हर क्षेत्र में साबित कर दिया है की महिलाये अब किसी से कम नही है । महिलाये आज पुरुषों से कंधे से कन्धा मिला कर चल रही है । महिलाये दुनिया के हर क्षेत्र में अपना झंडा गाड़ चुकी है । बात करते है अम्बेडकरनगर जिले की जहाँ लड़कियों ने ये साबित कर दिया है की लडकियां लड़कों से आगे निकल चुकी है और कहती फिर रही है हम किसी नहीं ।
महिला शसक्तीकरण का गवाह बना अम्बेडकरनगर जिले का मेडिकल कालेज । जहाँ आज कल वार्षिक उत्सव की धूम मची हुई है । 2011 से सुरु हुई महामाया एलोपैथिक मेडिकल कालेज को पांच साल पूरे हो चुके है , और 75 छात्रों का पहला बैच डॉक्टर की परीक्षा पास कर डॉक्टर समाज और देश की सेवा के लिए तैयार है । समय था पास हुए छात्र छात्राओं की घोषणा का , पर सब तब चौंक उठे जब इन पास हुए छात्र छात्राओ में गोल्ड मैडल के लिए एक लड़की का नाम पुकारा गया ।
महामाया एलोपैथिक मेडिकल कालेज अम्बेडकरनगर की पहली महिला डॉ बनी मऊ जिले की रहने वाली बन्दना ने गोल्ड मेडल पर कब्ज़ा किया । समारोह में लोगो की तालियां तब और तेज गयी जब के पता चला की इन पास हुए डॉक्टरों में 1 से लेकर 5 नंबर तक लड़कियां लडकों से आगे निकल गई हैं।
वही जब हमने मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल से बात की उन्होंने बताया की आज 2011 से चल रहे अम्बेडकरनगर मेडिकल कालेज के 75 छात्र छात्रायों को डॉक्टर की उपाधि मिल चुकी है । ये मेडिकल के पहले बैच के छात्र छात्राये डॉक्टर बन कर देश और समाज की सेवा के लिए तैयार है । जब हमे उनसे पूछा की आखिर लडकियों ने ही बाज़ी मारी और लड़कों से आगे निकली तो उन्होंने बताया की लकड़े अपनी कुछ अलग एक्टिविटी से जुड़े रहते है । लड़किया अपनी पढाई में लगी रहती है । यही कारण है उनकी सफलता का ।
कार्तिकेय द्विवेदी, संवाददाता