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गंगा दशहरा विशेष: ज्योतिष और धर्म का संगम: डॉ राजेश त्रिपाठी

ganga 7 गंगा दशहरा विशेष: ज्योतिष और धर्म का संगम: डॉ राजेश त्रिपाठी

गंगा और धर्म शास्त्र
इस परम पावनी मां गंगा के अवतरणके उत्सव पर्व हमारे धर्म शास्त्रों और वेदों में सर्वोपरि रहे हैं। मान्यतानुसार हिन्दी माह के ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को मां गंगा के अवतरण का पर्व गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर स्कन्धपुराण में आया है कि ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी जाती है। इसमें स्नानऔर दान का फल अक्षय होता है। ज्योतिष की मान्यता के अनुसार अगर हम बात करें तो लम्बे समय के बाद ये नक्षत्र आया है। इसलिए इस बार गंगा दशहरा का महत्व कुछ ज्यादा ही अधिक है। इस बार गंगा दशहरा पर्व सर्वार्थ सिद्ध और अमृत सिद्ध योग के बीच मनाया जा रहा है। यूं तो नदियों का भारतीय जीवन परम्परा में बड़ा महत्व है।

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भारतीय धर्म ग्रन्थों में तीर्थ की परिकल्पना भी हमेशा नदियों के घाटों पर ही होती है। जनमानस में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना गया है। इसलिए गंगा को मां का दर्ज दिया जाता है। क्योंकि माना जाता है कि गंगा विष्णु के पांव से निकली और ब्रह्मा के कमंडल में बसी थीं। जहां से गंगा जब धरती पर अवतरित हुई तो शिव की जटाओं से होती हुई । धरती पर अपनी अविरल धारा को प्रवाहित कर रही हैं। कहा जाता है कि कि गंगा देवताओं की नदी हैं और अब मनुष्यों को तारने धरती पर आई हैं। इसलिए गंगा के घाट पर स्नान दान पुण्य का तो महत्व है ही लेकिन गंगा के अवतरण यानी गंगा दशहरा पर इसका विशेष पूजन आरती और दान स्नान का महत्व है।

ज्योतिष विधि-विधान
इस बारे में हमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ राजेश त्रिपाठी ज्योतिषाचार्य जी से बात की तो उन्होने कहा कि इस बार का गंगा दशहरा का नक्षत्र पहली बार हस्त नक्षत्र में पड़ रहा है। इस दिन सुबह 10 बज कर 14 मिनट से 5 बजकर 45 मिनट तक स्नान का पुण्य काल रहेगा। इसी वर्ष यह विशेष पुण्यकाल पड़ रहा है। पहली बार गंगादशहरा सर्वाधसिद्ध और अमृतसिद्ध योग भी पड़ रहे हैं। इसलिए इसबार गंगा दशहरा का स्नान दान का महत्व ज्यादा प्रवल है।

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इसलिए जब स्नान के लिए मां गंगा का पूजन करें तो विशेष तौर पर पूजन की शुरूआत करने के पहले विधि पूर्वक पहले स्नान करके गंगा घाट पर जाये फिर पहले मां गंगा को जल दे फिर दूध दे शहद दें फल दे मिष्ठान अर्पित करें फिर वस्त्र दे फिर मां गंगा के स्तोत्र को पढ़ते हुए मां गंगा की आरती करें। इसके बाद मां गंगा को प्रणाम करते हुए ऊं वासुदेवाय नम: का जाप करते हुए स्नान कर पितरों को तर्पण दे गौ दान करें। इससे पुण्य आपका अक्षत संचित होते हैं।

rajesh tripathi1 गंगा दशहरा विशेष: ज्योतिष और धर्म का संगम: डॉ राजेश त्रिपाठीडॉ राजेश त्रिपाठी, प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय

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