नई दिल्ली। बीते माह अगस्त की 25 तारीख को पूरे विधि विधान से लोगों ने अपने घरों में गणपति की स्थापना की थी आज ठीक 5 सितंबर को अब गणपति का विसर्जन हो रहा है। मान्यता है कि भाद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी की जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग अपने अपने घरों में विघ्न विनाशक गणपति गणेश की मिट्टी की प्रतिमा की स्थापना करते हैं।
इसके बाद गणपति का पूजन और अर्चन किया जाता है। अब यह स्वरूप बदला है अब घरों के साथ बड़े-बड़े पंडालों में गणपति की भव्य मूर्तियों की स्थापना की जाती है। इस पर्व को विशेष तौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता है। देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में इस पर्व को लेकर विशाल आयोजन किए जाते हैं। मुम्बई में विश्व का सबसे प्रसिद्ध गणेश मंदिर सिद्ध विनायक स्थित है। इसलिए यहां पर ये पर्व काफी महत्ता रखता है।
गणेश चतुर्थी को शुरू हुआ ये पर्व आखिरकार भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की अन्नत चतुर्दशी की तिथि को समाप्त हो जाता है। इस दिन सभी पूजा पंडालों और अपने घरों में इतने दिनों तक रखे जाने वाले गणपति गणेश को लोग और उल्लास और उत्साह से विसर्जन करने के लिए लेकर जाते हैं। माया नगरी में इसको लेकर बड़े-बड़े रथों और ढोल-नगाड़ों के साथ रास्तों के साथ घाटों को सजाया जाता है। भक्त गण इस मौके पर गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ की कामना कर अपने-अपने गणपति को विदा करते हैं।