featured धर्म

देवी दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की आराधना से होगा लक्ष्मी का निवास

Kushmanda pic 2 देवी दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की आराधना से होगा लक्ष्मी का निवास

नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र की शुरुआत 28 मार्च से हुई है और आज देवी पूजा का चौथा दिन है। इस दिन देवी दुर्गा के स्वरुप कुष्मांडा की आराधना की जाती है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम दिया गया। कहा जाता है कि जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईष हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदि स्वरूपा या आदि शक्ति कहा गया है।

Kushmanda pic 2 देवी दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की आराधना से होगा लक्ष्मी का निवास

इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इनकी आराधना से मनुष्य त्रिविध ताप से मुक्त होता है। मां कुष्मांडा सदैव अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि रखती है। इनकी पूजा आराधना से हृदय को शांति एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं।

देवी कुष्मांडा इस चराचार जगत की अधिष्ठात्री हैं, जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी उस समय अंधकार का साम्राज्य था देवी कुष्मांडा जिनका मुखमंड सैकड़ों सूर्य की प्रभा से प्रदिप्त है उस समय प्रकट हुई उनके मुख पर बिखरी मुस्कुराहट से सृष्टि की पलकें झपकनी शुरू हो गयी और जिस प्रकार फूल में अण्ड का जन्म होता है उसी प्रकार कुसुम अर्थात फूल के समान मां की हंसी से सृष्टि में ब्रह्मांण्ड का जन्म हुआ यही वजह है कि यह देवी कुष्मांडा के रूप में विख्यात हुई।

इस देवी का निवास सूर्यमण्डल के मध्य में है और यह सूर्य मंडल को अपने संकेत से नियंत्रित रखती हैं। इस दिन मां के इस रुप की उपासना करते हुए इस मंत्र का जाप करना फलदायी होगा..ये मंत्र है…सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।

Kushmanda pic 1 देवी दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की आराधना से होगा लक्ष्मी का निवास

देवी कुष्मांडा के तेल से अलौकिक है दसों दशाएं:-

देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है। अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करना चाहिए। इससे भक्तों के रोगों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है।

Related posts

जेल जाने के बाद पहली बार अपनी मां से मिला राम रहीम, नहीं रुक रहे थे आंसू

Pradeep sharma

अखिलेश को टिकट बांटने का हक देने के लिए तैयार हुए मुलायमः सूत्र

kumari ashu

Rashifal 6 December 2021: आज किन राशि वालों को होगा लाभ, सभी 12 राशियों का पढ़ें हाल

Saurabh