नई दिल्ली। बिहार में राजनीति ने जिस तरह से करवट बदली है। उसके बाद बिहार में चार साल बाद फिर पुराने इतिहास के पन्ने पलटे जाएंगे। नीतीश और सुशील मोदी एक बार फिर चार साल बाद सदन में साथ-साथ दुखाई देंगे और बहुमत साबित करेंगे। बिहार की सत्ता ने चार साल पहले इसी तरह का मोड़ लिया था जब नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ जेडीयू का गठन किया था और चार साल बाद फिर बिहार की सत्ता में एक नया मोड़ आया है जब नीतीश ने कांग्रेस और राजद के साथ महागठबंधन तोड़कर फिर से मोदी सरकार का हाथ थाम लिया है। जिसकी वजह से नीतीश और सुशील एक बार फिर चार सालों के बाद एक साथ सदन में नजर आने वाले हैं और बहुमत साबित करने वाले हैं। जो उनके लिए बिल्कुल भी मुश्किल नहीं होगा।
बता दें कि महागठबंधन टूटते ही नीतीश को फौरन बीजेपी का साथ मिल गया और उन्होंने इस्तीफा देने के तुरंत बाद अगले ही दिन बाजेपी के साथ मिलकर छठे सीएम के तौर पर शपथ ग्रहण की। वहीं सुशील कुमार को उपमुख्यमंत्री का पद मिल गया और उन्होंने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। दोबारा शपथ लेने के बाद नीतीश ने कहा कि मैंने ये फैसला बिहार के हित के लिए लिया है। मेरी जवाबदेही बिहार के लिए है। सही वक्त आने पर सबको जबाव दूंगा।
वहीं नीतीश के इस्ताफे के बाद लालू और राहुल दोनों ने नीतीश पर जमकर वार किए। राहुल ने कहा कि नीतीश कुमार ने हमें धोखा दिया है। हमें ये पहले से पता था कि ऐसा कुछ होने वाला है। ये महागठबंधन अब ज्यादा वक्त तक नहीं चलेगा। हिंदुस्तान की राजनीति की यही समस्या है कि यहां राजनेता अपने मतलब के लिए कुछ भी कर जाते हैं। जो भी जनादेश मिला था वो सांप्रदायिकता के खिलाफ था। राहुल ने नीतीश पर वार करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने अपने मतलब के लिए गठबंधन तोड़कर मोदी सरकार का हाथ थाम लिया है।
वहीं लालू ने भी नीतीश पर वार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लालू ने नीतीश को धोखेबाज बताते हुए कहा कि नीतीश कुर्सी के लालची हैं उन्हें जहां अपना फायदा दिखा वो वहां चले गए। लालू ने नीतीश पर तंज कसते हुए कहा कि नीतीश के फैसले से बिहार की जनता नाराज है। बिहार की जनता ने तो बीजेपी को खाली हाथ भेजा था। बिहार के मुस्लमानों और गरीबों ने हमारा साथ दिया था। लेकिन नीतीश ने अपने फायदे के लिए उन सबको धोखा दिया है। और जहां उनको कुर्सी दिखा वो वहीं चले गए।