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कश्मीर में जरूरत की चीजों की भारी किल्लत, जनजीवन थमा

Kashmir 2 कश्मीर में जरूरत की चीजों की भारी किल्लत, जनजीवन थमा

अनंतनाग। बीते कई वर्षों में हिंसा के बेहद बुरे दौर से गुजर रही कश्मीर घाटी में बीते एक सप्ताह से कर्फ्यू लगे होने के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है और लोगों को स्वास्थ्य की मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रहीं। हाल ही में मां बनीं जबीना भी ऑपरेशन के बाद के उपचार के लिए अपने घर से आठ किलोमीटर दूर स्थित जिला अस्पताल तक भी नहीं जा सकतीं। जबीना ने 12 दिन पहले ही अनंतनाग के जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य केंद्र में ऑपरेशन के जरिए एक बच्चे को जन्म दिया है। लेकिन घाटी में कर्फ्यू लगे होने के कारण जनजीवन जहां का तहां थमा हुआ है।

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जबीना को ऑपरेशन के बाद मिलने वाला उपचार देने वाला कोई नहीं है। जबीना के परिवार वालों को अब यह चिंता सताने लगी है कि जल्द ही उपचार नहीं मिला तो कहीं जबीना संक्रमित न हो जाएं। यह सिर्फ एक जबीना की कहानी भर नहीं है। आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की भारतीय सेना के हाथों मौत के बाद से ही कश्मीर घाटी में भड़की हिंसा और उसके बाद लगे कर्फ्यू के कारण कश्मीर घाटी में ऐसी हजारों जबीना हैं। घाटी में दवाओं, ताजा सब्जियों, खाने-पीने की चीजों और अन्य दैनिक जरूरत की चीजों की भारी किल्लत है।

अचबाल अस्पताल के बाहर दवा की दुकान चलाने वाले जान मोहम्मद ने आईएएनएस को बताया, “मेरे पास भी बेहद जरूरी दवाएं खत्म हो चुकी हैं। मधुमेह और हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को मैं दवाएं नहीं दे पा रहा।”

उन्होंने बेहद चिंतित स्वर में कहा, “दवाओं का वितरण करने वालों के बारे में भी मुझे कुछ नहीं पता।”

अस्पताल भी जरूरी चीजों की किल्लत से जूझ रहे हैं। पेट्रोल/डीजल की कमी के कारण अस्पताल आपात परिस्थिति में भी एंबुलेंस नहीं भेज पा रहे। घाटी के दक्षिणी इलाके में आईएएनएस ने पाया कि लोग जो कुछ उपलब्ध है उसी से काम चला रहे हैं। लेकिन अब वहां भी ज्यादा कुछ नहीं बचा। सब्जियां, गैस, या खाने-पीने के जरूरी सामान, सबकुछ तेजी से खत्म हो चला है। कुलगाम जिले के रहने वाले आजाद अहमद ने आईएएनएस को बताया, “हमने बीती रात चावल और नमक खाकर बिताई। यहां न तो सब्जी है, न दूध, न मांस या मछली, कुछ भी नहीं है।”

एक स्थानीय सब्जी विक्रेता ने बताया कि घाटी में फैली अस्थिरता के चलते वह कुछ भी नहीं बेच पा रहा और उसे 10,000 रुपये का घाटा हो चुका है। हालांकि इतनी किल्लतों के बीच भी कश्मीरवासी हालात से हार मानते नजर नहीं आ रहे।

उत्तर और दक्षिणी कश्मीर में लोग एकदूसरे की मदद कर रहे हैं और जरूरतमंदों के लिए सब्जियां, तेल, चावल और अन्य खाने-पीने की चीजें इकट्ठी कर रहे हैं। एक स्थानीय पत्रकार मुदस्सिर कादरी ने आईएएनएस को बताया, “मेरे साथ नौ अन्य स्वयंसेवी पास के गांवों से कुछ हरी सब्जियां इकट्ठी करने में सफल रहे हैं और बाद में उन्हें कस्बे में जरूरतमंद लोगों में वितरित किया गया।”

आपसी सहभागिता की इसी भावना के चलते कश्मीरवासियों का मनोबल अभी भी नहीं गिरा है और उन्हें जल्द ही क्षेत्र में स्थिरता बहाल होने की उम्मीद है। घाटी में हालांकि अभी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद रखी गई हैं, जिससे लोगों को अपने स्वजनों का हाल-चाल नहीं मिल पा रहा। वे अपने स्वजनों के ठीक-ठाक होने की प्रार्थना भर कर सकते हैं।

(आईएएनएस)

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