पटना। पटना हाईकोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को निर्देश दिया कि वह उन सभी अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दें जिन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। साथ ही साथ अदालत ने उक्त परीक्षार्थियों का फार्म प्रारम्भिक परीक्षा के बाद भरवाने एवं स्क्रूटनी करने का निर्देश आयोग को देते हुए कहा कि यदि स्क्रूटनी में किसी कारणवश फार्म अस्वीकृत होता है तो उन अभ्यर्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित नहीं किया जाए। दूसरी ओर बिहार लोक सेवा आयोग के वरीय अधिवक्ता और राज्य के प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि आयोग गुरुवार को एकल पीठ के दिये आदेश के विरुद्ध खंडपीठ के समक्ष अपील दायर करेगी और अदालत से अनुरोध करेगी इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को कर दी जाये ताकि अदालत के एकलपीठ के आदेश से आयोग को परेशानियों का सामना न करना पड़े।
बिहार लोक सेवा आयोग की आगामी 12 फरवरी को आयोजित होने वाली 60वीं से 62वीं की सम्मिलित संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा के कई अभ्यर्थियों ने याचिका या हस्तक्षेप याचिका हाईकोर्ट में इस आधार पर दायर की थी कि उन्होंने परीक्षा के लिए निबंधन कराया व निर्धरित फीस भी जमा कर दी है, लेकिन तकनीकी कारणों से फार्म नहीं भर पाये हैं। इसलिये अदालत उन्हें प्रारम्भिक परीक्षा में शामिल करने का निर्देश बिहार लोक सेवा आयोग को दे। न्यायाधीश डॉ. रविरंजन की एकलपीठ ने निशांत कुमार व अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए गुरुवार को अपना फैसला सुनाया।
गौरतलब है कि बिहार लोक सेवा आयोग ने बिहार प्रशासनिक सेवा के विभिन्न पदों पर बहाली के लिए 60वीं से 62वीं सम्मिलित संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाया था। अभ्यर्थियों को उक्त परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए आयोग के वेबसाइट पर जाकर निबंधन कराना था। निबंधन के उपरांत अभ्यर्थियों को बैंक चालान ऑनलाइन जारी किया गया था, जिसे उन्हें संबंधित बैंक की किसी भी शाखा में जाकर निर्धारित फीस जमा कर पुनः आयोग के वेबसाइट पर बैंक के दिये गये चालान नम्बर व फीस जमा करने तिथि को अंकित करने के बाद अभ्यर्थियों को आवेदन पत्र फार्म भरना था। परंतु तकनीकि कारणों एवं जानकारी के अभाव की वजह से बड़ी संख्या में छात्रा फार्म भरने से वंचित रह गये।
परीक्षा की तिथि घोषित किये जाने के उपरांत जब अएडमिट कार्ड डाउनलोड किया जाने लगा तो परीक्षा फार्म भरने से वंचित रहे छात्रों का एडमिट कार्ड अपलोड नहीं होने के कारण डाउनलोड नहीं हो पाया। इसके बाद 35 अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और परीक्षा में सम्मिलित कराने का निर्देश आयोग को देने के की मांग की। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रारम्भिक परीक्षा के लिए आयोग ने पहली बार ऑनलाइन आवेदन भरवाया, परंतु समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण इसका सर्वर अधिकांश समय फेल रहा, इसके लिए आयोग ने परीक्षा फार्म भरने की तिथि भी बढ़ायी।
बावजूद इसके तकनीकि परेशानियां दूर नहीं हो पायी और बड़ी संख्या में अभ्यार्थी रजिस्ट्रेशन कराने और निर्धारित फीस जमा करने के बाद भी परीक्षा फार्म भरने से वंचित रह गये। गुरुवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह सम्भव है कि तकनीकि कारणों से परीक्षार्थी फार्म भरने से वंचित हुए हों क्योंकि ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की स्थिति काफी खराब है। साथ ही साथ अदालत ने कहा कि परीक्षा फार्म भरने से वैसे छात्र भी वंचित रह गये होंगे जिनका आयोग की परीक्षा में बैठने का अंतिम मौका होगा। इसलिए ऐसे अभ्यर्थियों को आयोग के वेबसाइट की तकनीकी गड़बड़ी के कारण परीक्षा में शामिल नहीं किया जाना गैर कानूनी प्रतीत होता है।
अदालत ने बिहार लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता को सलाह दी कि यदि आयोग चाहे तो 12 फरवरी को आयोजित प्रारम्भिक परीक्षा को एक माह के लिए स्थगित कर छूटे हुए अभ्यर्थियों जो रजिस्ट्रेशन कराने और फीस जमा करने के बाद फार्म भरने से वंचित रह गये थे, उनका फार्म भरवा सकती है।
गौरतलब है कि बिहार लोक सेवा आयोग की इस परीक्षा के तहत बिहार प्रशासनिक व बिहार पुलिस सेवा सहित 642 पदों पर बहाली होनी है। कुल 642 पदों में से 325 पद अनारक्षित है। सबसे अधिक बिहार प्रशासनिक सेवा के 244 पद है। इनमें बिहार पुलिस सेवा के 30, बिहार वित्त सेवा के 73, जिला समदेष्टा के 5, उत्पाद निरीक्षक के 2, बिहार प्रोबेशन सेवा के 60, ग्रामीण विकास पदाधिकारी के 13, जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी के 3, बिहार निबंध सेवा के 11, नियोजन पदाधिकारी के 3, बिहार श्रम सेवा के 7, ईख पदाधिकारी के 2, बिहार निर्वाचन सेवा के 4, जिला अंकेक्षण पदाधिकारी सहयोग समितियां 7, सहायक निबंध सहयोग समितियां 3 व राजस्व अधिकारी के 175 पद शामिल हैं।