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लो आ गई लोहड़ी वे….बांटें प्यार और खुशियां

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नई दिल्ली। हंसने-गाने , एक-दूसरे से मिलने और खुशियां बांटने का त्योहार आखिर आ ही गया जिसे आप सब लोहड़ी के नाम से जानते है। लोहड़ी के दिन से माघ का महीना शुरु हो जाता है और ऐसा कहा जाता है कि लोहड़ी की रात सबसे सर्द रात होती है। प्यार और अपनेपन का त्योहार हर साल मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है।

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सर्द रात में जलाते है आग:-

लोहड़ी का त्योहार मुख्य रुप से पंजाब में मनाया जाता है और इसी देश के अलग-अलग हिस्सों में कई नामों से जाना जाता है। इस त्योहार के दिन खुले स्थान पर परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बनाकर बैठते है। इसके साथ ही रेवड़ी, मूंगफली, लावा को उसमें डालते हैं इसके बाद ढोल पर जमकर डांस करते है और एक दूसरे को बधाइयां देते है। लोहड़ी को लेकर कई तरह की कहानियां भी प्रचलित है ऐसा कहा जाता है कि होलिका और लोहड़ी दोनों बहनें थी कई जगह लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था यह शब्द तिल और रोड़ी शब्दों के मेल से बना है जो उस समय के साथ बदलकर लोहड़ी के रुप में फेमस हुआ था।

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इसके साथ ही कहा जाता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की 2 अनाथ लड़कियां थी। उस समय लड़कियों को अमीरों को बेच दिया जाता था। जब दुल्ला भट्टी नाम के मुगल शासक को उन दोनों को बेचे जाने का पता लगा तो उन्हें छुड़वाया और शादी करवाई।

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लोहड़ी से होता है नये साल का आगाज:-

ऐसा कहा जाता है लोहड़ी के दिन से ही पंजाब में नये साल की शुरुआत होती है। जो कि किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय गन्ने की फसल की कटाई की जाती है और इसी वजह से लोहड़ी पर गुड़ और गजक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही आग में मक्का, गुड़, गजक और खीलें डाली जाती है और घर में तरक्की की प्रार्थना की जाती है। लोहड़ी को नए शादी शुदा जोड़े और बच्चे के लिए काफी शुभ और अहम माना जाता है। इसके साथ ही लोकगीतों से भगवान सूर्य को शुक्रिया अदा करते हैं।

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