राजस्थान

किसान महापंचायत ने किया 22 जुलाई को राजस्थान बंद का आह्वान

किसान महापंचायत ने किया 22 जुलाई को राजस्थान बंद का आह्वान

अजमेर। किसानों अपनी समस्याओं के निवारण के लिए बड़े आन्दोलन की तैयारी कर रही हैं। ऐसे में किसानों ने महापंचायत ने घोषणा की है। किसानों का कहना है कि आगामी नौ जुलाई को राजस्थान के 45 हजार गांव बंद रखे जाएंगे। वहीं 22 जुलाई को राजस्थान बंद किया जाएगा। यह जानकारी मंगलवार को अजमेर में महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने पत्रकार वार्ता में दी। किसान महापंचायत का आरोप है कि प्रदेश और केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए किसानों की समस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाया और सत्ता में आने के लिए कई वायदे भी किए, लेकिन अब जब सत्ता हाथ में है तो भाजपा उन वायदों से मुकर रही है।

किसान महापंचायत ने किया 22 जुलाई को राजस्थान बंद का आह्वान

किसानों के लिए ऋण मुक्ति और फसल का पूरा दाम की मांग कर रहे किसान महापंचायत संगठन ने नौ जुलाई को 45 हजार गांव में बंद का आह्वान किया है। घोषणा की गई है कि बंद के दौरान ना तो कोई ग्रामीण गांव से बाहर जाएगा और ना ही कोई उत्पाद गांव के बाहर जाने दिया जाएगा। ग्रामीण अपने घरों पर काले झंडे लगा कर भाजपा सरकार का विरोध करेंगे। इसी कड़ी में 22 जुलाई को राजस्थान बंद का आह्वान भी किसान महापंचायत की ओर से किया जाएगा।

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि किसानों की भूमि बैंकों के गिरवी है। किसान को उनकी उपजों की लागत से कम मूल्य प्राप्त होने के कारण किसान ऋण में डूबे, जिसके लिये सरकारी नीतियां ही उत्तरदायी हैं। इसकी पुष्टि भारत सरकार द्वारा गठित जोला समिति 1985 तथा किसान कार्यबल 2000 से होती है, जिनकी अनुशंसा के अनुसार सरकार को किसानों के ऋणों का भार उठाना चाहिए। जाट ने यह भी आरोप लगाया कि केन्द्र द्वारा किसानों की ऋण समाप्ति से पल्ला झाड़ना तथा धन्ना सेठों के ऋणों का भार उठाने में उत्साह दिखाना, भेदभाव पूर्ण नीतियों का परिचायक है। यह दोहरे मापदंड किसानों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लघंन है। संविधान का निष्ठापूर्वक पालना करने के लिये ईश्वर और अल्लाह के नाम पर सौंगंध खाने वालों को अपनी सौंगंध पूरी कर वर्गों के मध्य असमान व्यवहार को रोकना चाहिए। इस सरकारी खोटी का ही परिणाम है कि ऋण चुकाने की क्षमता समाप्त होने तथा कृषि उपजों के दाम नहीं मिलने के कारण प्रदेश में एक सप्ताह में ही बांरा, झालवाड़, भरतपुर के पांच किसानों ने समय पूर्व अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। जिससे उनका घर-परिवार उजड़ने की स्थिति में आ गया है। इसके पूर्व टोंक जिले में परमेश्वर गुर्जर एवं 60 अन्य परिवार इस त्रासदी को झेल चुके।

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