नई दिल्ली। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला त्योहार करवा चौथ का हिन्दु धर्म में अलग ही महत्व है। सुहागिन औरतें इस दिन अपने पति की लंबी उमर के लिए उफवास रखती हैं। कहते हैं पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ ये व्रत करने से इसका फल जरूर मिलता है। इस व्रत को केवल सौभाग्यवती औरतों को ही रखने का अधिकार प्राप्त है।
इस व्रत में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
सरगी का महत्व:- इस व्रत में सरगी का विशेष रूप से महत्तव है। करवा चौथ के दिन सुहागिन औरतों को व्रत की शुरूआत सुबह लगभग चार बजे के आस-पास सरगी को लेकर करनी चाहिए। सरगी सास के द्वारा बहु को दी जाने वाली सुहाग की कुछ निशानियां हैं, व्रत की शुरूआत बहू सास से मिलने वाली सुहाग की इन्हीं निशानियों जैसे मिठाईयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान से करती है।
धारण करे लाल रंग के वस्त्र:- ऐसा मानना हा कि लाल रंग प्रेम का प्रतीक होता है और इस दिन लाल रंग के वस्त्रों को धारण करना चाहिए। विवाहित औरतों को इस दिन अपनी शादी का जोड़ा या साड़ी पहननी चाहिए।
व्रत कथा को ध्यान लगाकर सुने:- करवा चौथ में पूजा-पाठ और नियमों के अलावा व्रत की कथा का भी विशेष महत्व है इसलिए व्रत की कथा पूरे मन लगन से सुननी चाहिए। सभी औरतों को एकचित्त होकर मन लगन से पूजा विधि का समापन करना चाहिए।
गांए मंगल गीत:- व्रत कथा के समय औरतों को मंगल गीत और सुहागिली भी गाना चाहिए, इससे वातावरण में प्रसन्नता और खुशहाली का माहौल आता है। इसके साथ-साथ पूजा का समापन पूरे नियम विधि विधान से करने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए।