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ऊर्जा प्रदेश पर गहरा सकता है ऊर्जा का संकट, कई परियोजनाएं अधर में अटकी

urja ऊर्जा प्रदेश पर गहरा सकता है ऊर्जा का संकट, कई परियोजनाएं अधर में अटकी

देहरादून। सूबे में नई सरकार के आने के बाद बार बार विकास को लेकर बातें की जा रही हैं। कहा जा रहा है कि सूबे में विकास की गाड़ी में अब डबल इंजन लग गया है। लेकिन अगर हकीकत को तलाशने निकला जाए तो इंजन की हालत बत्तर ही दिख रही है। क्योंकि उर्जा प्रदेश पर जल्द ही ऊर्जा का बड़ा संकट घिरता दिख रहा है। यूं तो जब उत्तराखंड की नींव नए राज्य के तौर पर रखी गई थी तो भी इसे ऊर्जा की अपार संभावनाओं वाला प्रदेश कहा गया था। लेकिन ये दूसरों को विद्युत दे इसके पहले ही इस राज्य को ऊर्जा के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

urja ऊर्जा प्रदेश पर गहरा सकता है ऊर्जा का संकट, कई परियोजनाएं अधर में अटकी

राज्य के गठन के बाद से ही सूबे में विद्युत उत्पादन को लेकर कई परियोजनाएं बनी, लेकिन आज तक कोई परियोजना सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाई है। सूबे में इको सेंसटिव जोन के चक्कर में 15 योजनाए लम्बित पड़ी हुई हैं। तो वहीं साल 2013 में आई भीषण आपदा के बाद 24 परियोजनाओं के निर्माण पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में ऊर्जा प्रदेश केवल नाम का ही रह गया है। ऊर्जा के निर्माण की परियोजनाओं को लेकर ना केन्द्र सरकार के पास कोई प्रोजेक्ट है ना राज्य सरकार के पास, अब यमुना घाटी में प्रस्तावित 300 मेगावट की परियोजना का निर्माण भी अटका पड़ा है। वजह है कि केन्द्र सरकार से लागत में खर्च होने वाले वित्त की मंजूरी अभी तक नहीं मिल सकी है। इसके साथ ही टौंस नदी पर प्रस्तावित किसाऊ परियोजना की भी हालते तस्वीर कुछ ऐसी ही है। वहां पर भी परियोजना में केन्द्र से बजट की बात सामने आ रही है।

विभाग का कहना है कि परियोजनाओं के संबंध में जरूरी और सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं। जल्द ही सकारात्मक तौर पर परिणाम सामने भी आएंगे। बीते दिनों इस बात को लेकर राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के मंत्रालयों में भी बात की गई थी। इसके अलावा ईको सेंसटिव जोन के अन्तर्गत प्रभावित 10 परियोजनाओं की अनुमति को लेकर भी प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन राज्य सरकार की उम्मीदों को लगातार झटका लगता जा रहा है। आपदा प्रबंधन और जल संसाधन मंत्रालय ने इसे पर्यावरण के लिए रेड जोन बताकर अटका दिया है। अब सूबे के विकास में ऊर्जा एक बड़ा संकट बनती जा रही है।

अब सूबे में विकास की गाड़ी में दो इंजन लगें या चार लेकिन ऊर्जा प्रदेश पर ऊर्जा का संकट आने में अब ज्यादा दिन नहीं लगने वाले हैं। पहले तो परियोजनाओं को मंत्रालयों की मार झेलनी पड़ रही है। लेकिन जो चलने लायक हैं वो वित्त की मार झेलकर अपना दम तोड़ रही हैं। ऐसे में सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत की संकल्प से सिद्धि और पीएम मोदी की न्यू इंडिया का असर कितना होगा ये सामने ही आएगा।

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