पटना। बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि यूपी में चुनाव लड़ने का मन बना चुके जदयू को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के दबाव ने पीछे हटने को विवश कर दिया है | उन्होंने यह भी कहा की लालू और कांग्रेस की ओर से गठबंधन पर फिर से विचार करने की धमकी देकर नीतीश कुमार को कदम पीछे खींचने को मजबूर कर दिया गया।
सुशील मोदी ने शुक्रवार को यहां प्रेसवार्ता में कहा कि यूपी के चंद जिलों तक सीमित पार्टियां भी जदयू से गठबंधन नहीं चाहती थी |नीतीश कुमार 2019 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनना चाहते हैं लेकिन उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद चुनाव में पार्टी को जमीनी हकीकत का अंदाजा लग गया की बिहार को छोड़कर अन्य राज्यों में उनके दल की क्या स्थिति रही है। नीतीश कुमार ने पिछले साल शराबबंदी के बहाने बनारस-इलाहाबाद समेत कई स्थानों पर करोड़ों रुपये खर्च कर सभाएं की थीं और बिहार के दर्जनों विधायकों-मंत्रियों को पार्टी की जमीन बनाने के काम में झोंक दिया था। कभी जयंत चौधरी तो कभी आरसीपी सिंह को यूपी का मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने की कोशिश की गई थी।
मोदी ने कहा कि सारी कसरत के बावजूद न तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव और न यूपी में चौथे नंबर की पार्टी कांग्रेस ने ही नीतीश कुमार को घास डाली। अजीत सिंह की पार्टी ने भी उनसे हाथ खींच लिए। 2012 के चुनाव में जदयू के सभी 225 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी। इस जीरो बैलेंस वाली पार्टी के अध्यक्ष दावा कर रहे थे कि उनके दबाव में अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्री बनाया गया। केंद्रीय मंत्रिपरिषद और विधान सभा चुनाव में उम्मीदवारी के मामले में भाजपा ने पिछड़ा समुदाय को जो सम्मानजनक हिस्सेदारी दी है, उससे कोई इस समाज को भाजपा से तोड़ने में कामयाब नहीं होगा। नीतीश कुमार को भी इसका एहसास हो चुका है।