हैम्बर्ग। जी-20 सम्मेलन से इतर यहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शनिवार को मुलाकात हुई जहां उनका रुख परिवर्तित दिखा। दोनों नेता उत्तर कोरियाई परमाणु खतरे और द्विपक्षीय व्यापार की परेशानियों को दूर करने के लिए मिलकर काम करते रहने पर सहमत हुए। यह जानकारी रविवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
बता दें कि विदित हो कि ट्रंप अपने चुनाव अभियान के दौरान व्यापार में गलत हथकंडे अपनाने के लिए चीन को आड़े हाथों लिया था, लेकिन पदभार संभालने के बाद उनकी बोली बदल गई और कहा कि परमाणु मुद्दे पर वह चीन के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। इतना ही नहीं गत अप्रैल महीने में जब फ्लोरिडा में ट्रंप शी से मिले तो उन्होंने चीनी राष्ट्रपति को नेक इंसान बताया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर लगाम कसने के लिए चीन से अपने व्यापारिक प्रभाव का इस्तेमाल करने को कहा था।
लेकिन हाल में चीन को लेकर ट्रंप ने तब अपना धैर्य खो दिया जब प्योंगयांग ने अंतर महाद्वीपीय मिसाइल का परीक्षण किया। यह मिसाइल अलास्का तक मार कर सकती है। परिणामस्वरूप ट्रंप प्रशासन ने ताइवान के साथ नया हथियार सौदा किया। इतना ही नहीं अमेरिका ने दो चीनी नागरिकों और एक चीनी शिपिंग कंपनी पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इसके अलावा चीन को वैश्विक मानव तस्करी की सूची में भी रख दिया। साथ ही एक चीन बैंक पर प्योंगयांग के लिए धन शोधन करने का भी आरोप लगाया।
साथ ही उल्लेखनीय है कि जी-20 सम्मेलन से कुछ दिनों पहले ह्वाइट हाउस चीन पर व्यापार प्रतिबंध लगाने और चीनी स्टील पर अतिरिक्त कर लगाने पर चर्चा कर रहा था। राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी शिकायत की थी कि चीन और उत्तर कोरिया के बीच व्यापार बढ़ रहा है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ने शनिवार को जर्मनी में इस तरह की कोई असहिष्णुता शी के साथ नहीं दिखाई। जी-20 सम्मेलन के अंत में हैम्बर्ग में उत्तर कोरिया पर चीनी कार्रवाई की सराहना करते हुए ट्रंप ने शी जिनपिंग से कहा, “आप जैसा मित्र होना सम्मान की बात है।