श्रीनगर। घाटी में बिगड़े हालातों को संतुलित करने और कश्मीर में शांती बहाल करने की दिशा में अलगाववादी नेताओं के साथ केंद्र सरकार की ओर से दिनेश्वर शर्मा को नियुक्त किया गया है। जो सोमवार से बातचीत शुरू करेंगे। हालांकि इस बीच ये खबरें भी आ रही हैं कि घाटी में अलगाववादी पार्टियों में शुमार हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने घाटी में शांति बहाल करने कि दिशा में बात करने से इंकार कर दिया है। हालांकि बीते शनिवार को दिनेश्वर शर्मा ने कहा था कि घाटी में शांति बहाल करने के लिए मेरे पास को जादू की छड़ी नहीं है। लेकिन उसके बाद भी घाटी में स्थायी शांति बहाल करने की कोशिश की जाएगी।
बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते 24 अक्टूबर को 61 साल के दिनेश्वर शर्मा को कश्मीर में अलगाववादियों से बातचीत के लिए नियुक्त किया था। इसके लिए उन्हें सरकार की तरफ से कैबीनेट सचिव का दर्जा भी दिया गया है। शर्मा इनटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख के तौर पर काम कर चुके हैं। घाटी के मुद्दों पर बातचीत होने से पहले किसी नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं है। मेरे काम के आधार पर परखा जाए। ऐसे ही हवा में तीर नहीं चलाने चाहिए। उनका कहना है कि मैं कश्मीरियों का दर्द समझता हूं और एक सही समाधान पाना चाहता हूं। आईबी में रहने के दौरान कश्मीर उनका दूसरा घर था। पहली बार जब कश्मीर गया था तब से अब तक कुछ नहीं बदला। कश्मीरियत में जरा भी बदलाव नहीं आया है।
वहीं दिनेश्वर शर्मा 1979 बैच के आईपीएस हैं। वे इंटेलिजेंस ब्यूरो (आर्इबी) के प्रमुख रह चुके हैं। वे मणिपुर में भी अलगाववादी गुटों से बातचीत कर चुके हैं। केरल कैडर के शर्मा की कश्मीर घाटी में पहली बार पोस्टिंग मई 1992 में हुई थी। वे इंटेलिजेंस ब्यूरो मुख्यालय, नयी दिल्ली से एक साल की ट्रेनिंग लेने के बाद यहां आये थे। उस वक्त शर्मा 36 साल के थे। वे घाटी में 1992 से 1994 तक सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत रहे। इसके बाद वे साल 2014 से 2016 तक आईबी के प्रमुख के तौर पर काम किये।
साथ ही कश्मीर मुद्दे पर नियुक्त दिनेश्वर शर्मा के घाटी दौरे से पहले सैयद अली शाह गिलानी की अगुआई वाले हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े ने शनिवार को ही दावा किया कि राज्य सरकार के एक अधिकारी ने गिलानी और शर्मा की बैठक कराने को लेकर उनसे संपर्क साधा है। संगठन ने दावा किया कि उसके नेता केंद्र के प्रतिनिधि शर्मा से मुलाकात नहीं करेंगे।