नई दिल्ली। सूबे में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखतो हुए सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और पर्यटन सचिव मिनाक्षी सुंदरम ने सूबे में फैले प्राकृतिक जल प्रपातों और झरनों के सौन्दर्यीकरण के साथ इसके आस-पास के इलाकों को विकसित करने और बढ़ाने के साथ यहां पर पर्यटकों को लाने के लिए एक व्यापक प्रोजेक्ट तैयार किया है। सूबे के कई इलाकों में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इस प्रोजेक्ट के तहत काम की शुरूआत करने के लिए निवेशकों को भी आमंत्रित किया जा रहा है। इस बारे में सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और सूबे के पर्यटन सचिव मिनाक्षी सुन्दरम लगातार अपने प्रोजेक्टों को लेकर तैयारी में लगे हुए हैं।
क्योंकि सूबे में कई प्राकृतिक पर्यटन के साधन ये पहाड़ी झरने और प्रपात अभी पर्यटकों की आंखों से ओझल हैं। इन में पिथौरागढ़ में इसका व्यापक फैलाव है, जिले में ग्लेशियरों, बुग्यालों के अलावा इन झरनों की छटा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। विभाग जल्द ही इन सभी इलाकों को अपने नक्शे में शामिल कर इससे विकसित करने की कवायद में जुटा है। जिसमें थल-मुनस्यारी मार्ग पर बिर्थी का झरना, बेरीनाग में देवीनगर के पास गराऊं का झरना सहित दारमा, ब्यास और जोहार इलाकों में इसका फैलाव है।
पहाड़ से गिरने वाले इन झरनों को देखने और इस प्राकृतिक सौन्दर्य को करीब से जानने और जीने के लिए पर्यटकों को यहां तक लाने की व्यवस्था की जा रही है। क्योंकि बेरीनाग तहसील का गराऊं झरना जो कि 25 मीटर से गिरता है या फिर खलिया टॉप की बर्फ से निकलने वाला झरना 169 मीटर से गिरता है ये सब पर्यटकों की नजरों से ओझल हैं। इस दिशा में पहल करते हुए यहां पर पर्यटक आवासों का निर्माण किया जा रहा है। यहां के झरनों का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को अपने आपस खींचता है। इसके साथ ही इस इलाके से महाभारत और पौराणिक कई सारी कथाओं और किवदंतियों का भी जुड़ाव रहा है। इस इलाके को पर्यटन विभाग अब अपने नक्शे के साथ प्रोजेक्ट में जोड़ रहा है। इसके बाद अब आने वाले दिनों में गर्जिया का झरना, जौलजीवी-मदकोट मार्ग पर सेरा के सामने गिरने वाला झरना, तवाघाट-नारायण आश्रम मार्ग पर तवाघाट के निकट का झरना और व्यास घाटी का कैप्टन फॉल आदि अब पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन जाएंगे।