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प्रदेश में डेंगू का कहर, एक जवान की मौत, 66 मरीजों में डेंगू की पुष्टि

dengu प्रदेश में डेंगू का कहर, एक जवान की मौत, 66 मरीजों में डेंगू की पुष्टि

लखनऊ। प्रदेश मे डेंगू का कहर तेजी से बढ़ रहा है, प्रदेश में कई सारे रिपोर्ट ऐसे मिल रह हैं कि जिसमें डेंगू के मामलों की पुष्टि की गई है। आपको बता दें कि एक ताजा मामले में डेंगू के संदेह में लखनऊके सहारा अस्पताल में भर्ती पीएसी जवान आरके तिवारी की सोमवार को मौत हो गई, जबकि एसएसनी टैफिक सहित करीब नौ ट्रैफिक कांस्टेबल में बीमारी की पुष्टि हुई है। कई मामले ऐसे पाए गए है कि जिसमें पीड़ित की हालात बहुत खराब पाई गई है, ऐसे ही एक मामले में हालत गंभीर होने पर एक कांस्टेबल को सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। उधर, बलरामपुर, सिविल, आरएमएल अस्पताल में सोमवार को 66 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।

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आपको बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी आज लखनऊ के ऐशबाग रामलीला में शिरकत करने लखनऊ पहुंच रहे हैं, ऐसे में पीएम के आगमन से ठीक पहले एएसपी ट्रैफिक और नौ कांस्टेबल के बीमार पड़ने से पुलिस महकमे में खलबली मच गई। पीएम के एअरपोर्ट से ऐशबाग रामलीला मैदान तक आने-जाने का पूरा प्लान एएसपी ट्रैफिक की सलाह पर तय किया गया है। शाम करीब सात बजे अधिकारियों ने इस संबंध में चर्चा की। हबीबुल हसन ने कहा कि शाम को पीएम के विजिट के दौरान वह फ्लीट के साथ मौजूद रहेंगे।

आपको बता दें कि आज डेंगू से अपनी जान गंवाने वाले आरके तिवारी महानगर में 32वीं बटालियन पीएसी में सिपाही के पद पर तैनात थे। तीन दिन से सहारा अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उधर, सिविल अस्पताल में हुई एलाइजा जांच में एएसपी ट्रैफिक हबीबुल हसन और चार ट्रैफिक कांस्टेबल में डेंगू की पुष्टि हुई है। पांच कांस्टेबल की अलग-अलग पैथॉलजी में हुई एलाइजा जांच में डेंगू कन्फर्म हुआ है। इसमें कॉन्स्टेबल महेंद्र, ज्ञान प्रकाश और विरेंद्र का प्लेटलेट 50 हजार से कम मिला है। हालत बिगड़ने पर महेंद्र को सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

इस मामले पर बोलते हुए ट्रैफिक पुलिसकर्मियों का कहना है कि ट्रैफिक लाइंस में पसरी गंदगी के कारण उनके नौ साथी डेंगू की चपेट में आए हैं। उनका कहना है कि सीलन और गंदगी के बीच सिपाही जमीन पर चटाई डालकर दिन गुजार रहे हैं। गलियों के बीच नाली का पानी जमा है और आवास इतने जर्जर हो गए हैं कि उन पर घास उग गई है। पूरे परिसर में गंदगी का अंबार लगा है। सिपाहियों के बैरेक का तो और भी बुरा हाल है। बैरक के नाम पर टिन शेड के दो कमरे हैं। इसके बगल में चबूतरे के ऊपर टिन शेड की छत डालकर उनके रहने की जगह बना दी गई है। सीलन भरी कच्ची जमीन पर चटाई डालकर सिपाही रह रहे हैं। ट्रैफिक सिपाहियों का आरोप है कि शिकायत करने पर अफसर नजरअंदाज कर देते हैं।

 Akeel New  (अकील सिद्दीकी, संवाददाता)

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