नई दिल्ली। 8 नवंबर 2016 को भारत में हुई नोटबंदी से जी़डीपी की रफ्तार को करारा झटका लगा हैं। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स के मुताबिक साल 2017 की पहली तिमाही में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.1 फीसदी रही जबकि साल 2014 की चौथी मिमाही के बाद से सबसे धीमी रफ्तार है रेटिंग एजेंसी ने ये भी कहा कि वैश्विक वृद्धि दर में सुधार हो रहा है।
सोमवार को जारी ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक में फिच ने कहा जीडीपी की वृद्धि दर साल दर आधार पर साल 2017 की पहली तिमाही में 6.1 फीसदी रही जो साल 2016 की चौथी तिमाही में 7.0 फीसदी थी यह साल 2014 के चौथी तमाही के बाद से सबसे धीमी वृद्धि दर हैं।
इसके साथ ही फिच ने कहा कि घरेलू मांग में कमी के कारण वृद्धि दर में गिरावट हुई हैं इसमें कहा गया ऐसा प्रतीत होता हैं कि साल 2016 के नवंबर में नोटबंदी के कारण सरकार ने अर्थव्यवस्था में से 86 फीसदी नकदी लगभग रातोंरात निकाल ली थी जिसका असर लोगों द्वारा किए जाने वाले खर्च पर पड़ा और मांग में गिरावट आई।
नोटबंदी के बाद उपभोग की वृद्धि दर 7.3 फीसदी तक गिर गई यह साल 2016 की चौथी तिमाही में 11.3 फीसदी की उच्च दर पर थी सबसे ज्यादा चिन्ता की बात यह है कि नोटबंदी के कारण निवेश नकारात्मक चला गया और यह हर साल आधार 2.1 फीसदी रहा वहीं इससे विनिर्माण गतिविधियां भी प्रभावित हुई और साल आधार पर घटकर 3.7 फीसदी हो गई।
वैश्विक विकास दर के सुधार में मजबूती आई हैं और इस साल इसके 2.9 फीसदी रहने की संभावना है जिसके साल 2018 में 3.1 पीसदी होने की उम्मीद है जो कि साल 2010 के बाद से सबसे अधिक होगी।