नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। इसी प्रदूषण को खत्म करने के लिए दिल्ली सरकार ने साल 2016 में राज्य में ऑड-ईवन स्कीम शुरू की थी। वहीं अब एक बार फिर दिल्ली सरकार राज्य में ऑड-ईवन का रूल शुरू कर सकती है। दिल्ली सरकार ने इसके लिए दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अफसरो को लेटर भेज दिया है। ऑड ईवन को दोबारा लागू करने को लेकर दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत ने कहा कि सरकार राजाधानी दिल्ली में बढ़ती गाडियों की संख्य पर लगाम लगाने के लिए ऑड-ईवन रूल को दोबरा शुरू करने पर विचार कर रही है। बता दें कि ये स्कीन पिछले साल जनवरी और अप्रैल में 15-15 दिन के लिए लागू की गई थी।
ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर गहलोत ने डीटीसी और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अफसरों को लेटर लिखकर कहा है कि बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार कुछ आपातकालीन फैसले ले रही है। इसमें ऑड-ईवन रूल भी शामिल है। उन्होंने लेटर में लिखा कि इसके लिए पूरी तैयारी कर ली जाए, ताकि इस बार इसे सख्ती से लागू किया जा सके।गहलोत ने कहा कि ऑड-ईवन स्कीम लागू करने के लिए दिल्ली में डीटीसी की बसों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। मेट्रो को छोड़ दिया जाए तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट की खराब हालत इसे लागू करने में बड़ी चुनौती है।
बता दें कि राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तौर पर फिलहाल डीटीसी की करीब 4000 और क्लस्टर स्कीम के तहत 1600 बसें चलाई जा रही हैं। वहीं, एक्सपर्ट्स की मानें तो दिल्ली के सभी इलाकों को कवर करने के लिए करीब 11 हजार बसों की जरूरत है। गौरतलब है कि कोर्ट ने पिछले हफ्ते पॉल्यूशन की परेशानी को लेकर एन्वायरन्मेंट पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी को ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान लागू करने का जिम्मा सौंपा था। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि सड़कों पर गाड़ियों का दबाव कम करने के लिए ऑड-ईवन लागू करने में हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। अगर जरूरत पड़े तो स्कूलों को भी बंद रखा जाए।
बताते चलें कि पिछले साल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कहने पर दिल्ली में प्रदूषण के स्तर और सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कम करने के लिए जनवरी और अप्रैल में ऑड-ईवन रूल लागू किया गया था। इससे दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में काफी गिरावट आई थी और दिल्ली की सड़कों पर इन 15 दिनों में ट्रैफिक की समस्या से भी निजात मिल गया था। हालांकि कई लोगों ने इस रूल को तोडने की कोशिश भी की थी।