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अजमेर दरगाह मामले में फैसला एक बार फिर टला, अब 24 को होगा फैसला

ajmer blast अजमेर दरगाह मामले में फैसला एक बार फिर टला, अब 24 को होगा फैसला

जयपुर। अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में एनआईए की रिपोर्ट पर 17 अप्रैल को फैसला टल गया है। सीबीआई की विशेष अदालत इस मामले में अब 24 अप्रैल को फैसला सुनाएगी। अदालत ने सोमवार को इस मामले में परिवादी खादिम सैय्यद सरवर चिश्ती को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है। साथ ही केरल के मुख्य सचिव, कोझीकोट और इंदौर के जिला कलेक्टरों की ओर से अदालत के आदेश का पालन ना करने और रिपोर्ट पेश नहीं करने पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है। इस पर एनआईए के वकील ने रिपोर्ट पेश करने के लिए अदालत से एक अवसर और देने की मांग की थी। इस पर अदालत ने 24 अप्रैल तक का समय दिया है।

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एनआईए की ओर से तीन अप्रैल को सीबीआई की विशेष अदालत में पूरक अंतिम रिपोर्ट पेश की गई थी। रिपोर्ट में एनआईए ने माना था कि इन्द्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा, अमित उर्फ प्रिंस और राजेन्द्र चौधरी के खिलाफ चार्जशीट में जांच पैंडिंग रखी थी। लेकिन पूरे मामले में इनके खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले हैं। ऐसे में इनके खिलाफ जांच आगे नहीं बढ़ाई जा सकती है। वहीं दो अन्य व्यक्ति रमेश गोहिल और जयंती भाई गोहिल की मौत हो चुकी है। ऐसे में उनके खिलाफ भी जांच नहीं चल सकती है। इस रिपोर्ट पर सोमवार को फैसला आना था लेकिन कोर्ट ने इस मामले में परिवादी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है। ऐसे में अब अगली तारीख 24 अप्रैल तय हुई है।

इससे पहले एनआईए ने 21 फरवरी को एक रिपोर्ट अदालत में पेश की थी। जिसे कोर्ट ने विधि सम्मत नहीं मानते हुए खारिज कर दिया था। कोर्ट ने एनआईए को पत्र लिखकर विधिवत दूसरी अंतिम रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे।

एनआईए के विशेष लोक अभियोजक अश्विनी कुमार शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट में एनआईए ने तीन आरोपियों को फरार मानते हुए उनके खिलाफ अभियोजन जारी रखने की बात कही थी। इस पर कोर्ट ने फरार आरोपी सुरेश नायर, रामचन्द्र कलसांगरा और संदीप डांगे की चल-अचल सम्पति का ब्यौरा नहीं देने पर केरल के मुख्य सचिव, कोझीकोट और इंदौर के जिला कलेक्टरों को नोटिस जारी करके पूछा था कि आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों ना की जाए। क्योंकि आपने अभी तक कोर्ट द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई। कोर्ट के आदेश के बावजूद भी पालना रिपोर्ट पेश नहीं करने पर अदालत ने सोमवार को सख्त नाराजगी जताई है। इस पर एनआईए के वकील ने कोर्ट में एक अवसर और देने की मांग की थी, इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

गौरतलब है कि अजमेर की प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 11 अक्टूबर 2007 को एक बम विस्फोट हुआ था। इस मामले में नौ साल बाद 8 मार्च को फैसला आया था। कोर्ट ने स्वामी असीमानंद समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया था। वहीं तीन आरोपियों को दोषी करार दिया था। हालांकि इनमें से एक आरोपी सुनील जोशी की गिरफ्तारी से पहले ही मौत हो चुकी थी।

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