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मेजर गोगाई को सम्मानित किए जाने पर ‘डार’ ने जताई नाराज़गी, बताया न्याय की हत्या

कपर मेजर गोगाई को सम्मानित किए जाने पर 'डार' ने जताई नाराज़गी, बताया न्याय की हत्या

श्रीनगर। बडगाम में मेजर गोगाई ने जिस शख्स को अपनी जीप से बांधकर कश्मीर में पत्थरबाजों के खिलाफ इस्तेमाल किया था। उस फारूख अहमद ने गोगाई को सम्मानित किए जाने पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि गोगाई को सम्मानित किया जाना एक तरह से न्याय की हत्या करने के बराबर है। सेना उन्हें सजा देने के बजाय सम्मानित कर रही है ये तो सरासर अन्याय है। डार का कहना है कि उन्हें अपने पड़ोसियों से पता चला कि गोगाई को इस काम के लिए सम्मानित किया गया है तो उन्हें बहुत बूरा लगा। उन्होंने इसे अन्याय बताते हुए मेजर गोगोई और सेना से पूछा है कि क्या वे कभी अपने बेटे को इस तरह जीप के बोनट पर बांधेंगे?

कपर मेजर गोगाई को सम्मानित किए जाने पर 'डार' ने जताई नाराज़गी, बताया न्याय की हत्या

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि यह न्याय नहीं तो क्या है प्रताड़ना और जुल्म का समर्थन कर के उन्होंने न्याय की हत्या की है। डार ने सम्मानित किए गए मेजर और सेना से सवाल किया कि क्या आप अपने सैनिको को बचाने या पत्थरबाजी को रोकने के लिए क्या अपने बेटे को इस तरह बोनट पर बांधकर इस्तेमाल करेंगे। फारूख का कहना है कि मुझे ढाल बनाने के बजाय उन्हें अपनी पत्थरबाजों के खिलाफ खुद लड़नी चाहिए थी। आखिर सेना अपनी लड़ाई के लिए किसी आम आदमी को प्रताड़ित कैसे कर सकती है?’

वहीं शॉल की कढ़ाई का काम करने वाले डार का कहना है कि उस घटना को लेकर वो अभी सदमें से बाहर नहीं आ सकें हैं। उसने बताया कि उन्हें कुछ दिन के लिए अस्पताल में भी रहना पड़ा क्योंकि इस सदमें से बाहर आने के लिए उन्हें काउंसलिंग लेने को कहा गया है।’ डार ने कहा कि एक पहले उनकी मां और उनकी कमाई दिन में तान हजार हो जाती थी लेकिन अब काम बंद होने की वजह से कर्ज हो गया है।

बता दें कि पुलिस ने 15 अप्रैल को सेना के खिलाफ डार की जिंदगी को खतरे में डालने और उसके अपहरण के लिए FIR दर्ज की थी। सेना ने खुद मामले की जांच के लिए आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं जिसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। मेजर को सम्मानित किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए पीडीपी के प्रवक्ता निजामुद्दीन भट्ट ने कहा, ‘अगर यह अवॉर्ड उस घटना के लिए दिया गया है तो यह ठीक नहीं है। इस घटना को लेकर मेजर गोगोई ने मीडिया के सामने आकर पूरी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि उनका यह कदम स्थानीय लोगों की जान बचाने के लिए उठाया गया था। अगर बेहद हिंसक हो चुकी भीड़ पर वे फायरिंग करवाते तो कम से कम 12 लोगों की जान चली जाती।

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