पटना। बिहार सरकार के कृषि मंत्री राम विचार राय ने बामेती में शुक्रवार को बढ़ते जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव के विषय में आयोजित कार्यशाला में कहा कि जल स्तर की निरंतर गिरावट से जमीन की उर्वरता और उत्पादकता दोनों घटती जा रही है जिससे हमारे आस-पास की जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। देश में प्रति वर्ष 1.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही आबादी एवं प्रति व्यक्ति खेती योग्य भूमि की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए खाद्यान, धान सुरक्षा हेतु विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन बढ़ाना होगा।
कृषि मंत्री रामविचार राय ने शुक्रवार को यहां कहा कि व्यापक स्तर पर कृषि और कृषि से जुड़े लोगों को पर्यावरण को बढ़ावा देना और खेती में जैविक खाध पदार्थो का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करना होगा । इसमें खेती के विविधिकरण, संसाधन संरक्षण तकनीक का उपयोग , संरक्षित खेती, धान की सीधी बुआई, बागवानी, फसलों के साथ ही अंतरवर्ती फसलों की खेती, अपशिष्ट प्रबंधन, कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी, मौसम पूर्वानुमान के प्रयोग, उपज उपरांत आधारभूत संरचनाओं के विकास के साथ ही जोखिम प्रबंधन के लिए फसलों का बीमा आदि पर विशेष ध्यान देते हुए किसानों को जागरूक करना होगा। मंत्री ने कहा की राज्य सरकार के द्वारा स्थिति से निपटने के लिए धान के वैसे प्रभेदों का बीज वितरण किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि जमीन में नमी का संरक्षण व वर्षा जल को एकत्रित करके सिंचाई हेतु प्रयोग में लाना होगा। किसान भाई वाटरशैड प्रबंधन के माध्यम से वर्षा के पानी को संचित कर सिंचाई के रूप में प्रयोग कर सकते हैं । मन्त्री ने कहा कि पर्यावरण संकट एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है और अगर लोगों ने जीवन शैली में बदलाव नहीं किया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं ।
मंत्री रामविचार राय ने कहा कि कृषि को बढ़ते जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए सरकार, कृषि विभाग और किसानों का सम्मलित प्रयास जारी रखना होगा । पिछले 100 वर्षों में पृथ्वी का तापमान 0.74 सेंटीग्रेड बढ़ा है। आईपीसीसी की रिपोर्ट सचेत करती है कि वर्ष 2100 तक पृथ्वी के तापमान में 1.4 से 5.8 सेंटीग्रेड तक की वृद्धि हो सकती है। इससे जलवायु में तेजी से परिवर्तन होंगे और ऎसी स्थिति में कृषि को प्रभावित होने से बचाने के लिए रासायनिक खादों की जगह जैविक खाद का प्रयोग अधिक से अधिक करना होगा । जैसे-जैसे धरती गर्म होगी वैसे-वैसे भूमिगत जलस्तर में गिरावट भी होगी जिससे कृषि की उत्पादकता प्रभावित होगी।
इससे पहले कर्मशाला का उद्घाटन कृषि मंत्री राम विचार राय, सुधीर कुमार, प्रधान सचिव कृषि विभाग, निदेशक अरविंदर सिंह, रिटायर पुलिस अधिकारी पी एन राय, रविन्द्र नाथ राय, विशेष सचिव ने संयुक्त रूप से द्वीप जलाकर किया । कर्मशाला में कृषि विभाग,आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, बिहार दूर संवेदन केंद्र, आपदा प्रबंधन विभाग, वन एवं पर्यावरण विभाग, तारामंडल, पटना, बिहार प्रोग्राम, बिल मिलिंडा गेट फाउंडेशन, पटना के पदाधिकारी , बिहार कृषि विश्वविद्यालय,सुपौल, नालंदा और पूर्वी चंपारण के कृषि विज्ञान केंद्र वैज्ञानिक समेत अन्य मौजूद रहे ।