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हार्डकोर नक्सली सुरंग यादव के आत्मसमर्पण से लगा भाकपा माओवादियों को झटका

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रांची। 25 लाख का इनामी हार्डकोर नक्सली सुरंग यादव के बिहार के जमुई में आत्मसमर्पण के बाद भाकपा माओवादी संगठन को जोरदार झटका लगा है। सुरंग के आत्मसमर्पण से क्षेत्र में काम करने वाले संवेदक वर्ग के लोग अब राहत की सांस ले रहे है। हार्डकोर नक्सली सुरंग यादव को झारखण्ड की गिरिडीह पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। इसके ऊपर बिहार-झारखण्ड में एक दर्जन से अधिक वारदात को अंजाम देने का आरोप है। गिरिडीह के गांवा, तिसरी, देवरी और बेंगाबाद में सुरंग का रेड कॉरिडोर का साम्राज्य स्थापित था।गिरिडीह एसपी अखिलेश बी वेरियर ने उसे रिमांड में लेने की पुष्टि की है।

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बता दें कि 35 वर्षीय भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर सुरंग यादव संगठन के लिए संवेदकों से लेवी की मोटी रकम वसूल कर संगठन को मजबूत करने का काम करता था लेकिन सुरंग के आत्म समर्पण करने के बाद संगठन में बड़ी सुरंग बन गयी। वह भाकपा माओवादी संगठन के लिए दिन रात एक कर जान की परवाह किये बगैर काम करता था। साथ ही सुरंग ने संगठन के लिए 27 दिन पूर्व घटना का अंजाम दिया था। साथ ही संगठन के नाम पर लेवी लेने का आरोप लगा कर विजय वर्णवाल की हत्या कर दी और मात्र 27 दिन में ही क्रूर नक्सली का दिल कैसे परिवर्तित हो गया जिससे वह समाज के मुख्यधारा से जुड़ने का मन बना लिया। इसे लेकर लोगों में कयासबाजी का दौर जारी है।

सूत्रों का कहना है कि सुरंग ने चिराग दा की मौत के बाद जोनल कमांडर की कमान संभाली थी। चिराग दा के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद सुरंग यादव को संगठन ने जोनल कमान सौंपी थी जिसके बाद सुरंग ने ताबड़ तोड़ घटना को अंजाम देकर संगठन में अपना वर्चस्व कायम कर लिया। वह बिहार और झारखंड के लिए आतंक का पर्याय था। उसका नाम सुनते ही लोग कांप उठते थे। वह संगठन में नये सदस्यों को जोड़ने का काम जोरों से कर रहा था। सूत्रों के अनुसार सुरंग क्षेत्र में अक्सर एक दर्जन से अधिक वर्दीधारी हथियारबंद नक्सलियों के साथ घूमा करता था। चिराग की मौत के बाद सुरंग गिरिडीह और जमुई के जंगली इलाकों में दिन में ही जनता दरबार लगा कर फैसला सुनाता था। साथ ही नक्सली संगठन की नीति को समझाता था और क्षेत्र के ठेकेदारों से मुलाक़ात व लेवी लेने का काम इसी क्षेत्र में करता था।

सुरंग भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर चिराग दा की पहली पसंद था। चिराग के सानिध्य में सुरंग ने कई बड़ी घटनाओं काे अंजाम दिया जिसमें गिरिडीह जेल ब्रेक, बदवारा से दर्जन भर मजदूरों को अगवा करना, चतरो में मीरा तिवारी के घर में बाबूलाल मरांडी के अनुज नुनुलाल मरांडी पर हमला करने सहित कई घटनाएं शामिल हैं। चिराग दा के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद सुरंग ने चिराग की हत्या का बदला लेने के लिए बीते वर्ष 21 मई की रात को गादी गांव में तीन लोग क्रमशः भेलवाघाटी थाना क्षेत्र के चोकी गांव निवासी मुकेश राय, भेलवाघाटी थाना के चोकीदार गरंग गांव निवासी योगेन्द्र तुरी और गादी गांव निवासी टिपन मंडल की गला रेत कर हत्या कर क्षेत्र में अपना दबदबा बनाया था।

इसके बाद 12 फ़रवरी को भेलवाघाटी थाना के रमनीटांड निवासी सह मुखिया पुत्र सुभाष कुमार वर्णवाल कारीपहरी गांव निवासी श्यामसुन्दर पंडित की गोली मार कर हत्या व मुखिया पुत्र रंजीत वर्णवाल व मुखिया पति गौरीशंकर मोदी को गोली मार कर घायल कर देना तथा पड़ोसी जिला जमुई जिला के क्षेत्र में कई घटना को अंजाम देकर आतंक का पयार्य बन गया। बीते वर्ष 17 जून को चन्द्रमेंनडीह थाना क्षेत्र के सिजुआ पहाड़ी के पास भेलवाघाटी थाना क्षेत्र के भेलवाघाटी गांव निवासी सह नक्सली सहयोगी विजय वर्णवाल की गला रेत कर हत्या कर दी थी। नक्सली सूत्रों के अनुसार दिनेश पंडित के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद दिनेश के जगह पर पिंटू राणा को जिम्मा दिया गया था लेकिन चिराग के मारे जाने बाद सुरंग से भी ज्यादा भूमिका निभाने वाला नक्सली नेता परवेज को जोनल का जिम्मा ना देकर सुंरग यादव को चिराग का स्थान दिया गया था। वही सुरंग के आत्मसमर्पण के बाद अब संगठन ने सुरंग की जगह अब सिद्धू कोड़ा को दिया है।

गौरतलब है कि 17 जुलाई को बिहार के जमुई जिले के चरकापत्थर थाना में पुलिस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नक्सली एरिया कमांडर सुरंग यादव ने विधिवत रूप से आत्मसमर्पण किया था।इस दौरान सुरंग की पत्नी, बच्चे और पिता तथा सीआरपीएफ के बिहार सेक्टर के आईजी एमएस भाटिया, जमुई एसपी जयंतकांत एएसपी अभियान डीएन पांडेय सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

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