पटना। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति छात्रों को दी जाने वाली छात्रावृत्ति बंद किये जाने के सम्बंधी राज्य सरकार के निर्णय पर गंभीर रूख अख्तियार करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की खण्डपीठ ने योगेन्द्र पासवान की ओर से दायर लोकहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया।
मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि ये छात्रा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणी से सम्बध है। इस जाति को राज्य सरकार ने तकनीकी शिक्षा के लिए छात्रावृत्ति देने का वायदा किया था। सरकार के इस निर्णय के बाद इस श्रेणी के कई छात्रों ने तकनीकी संस्थानों में अपना नामांकन करा लिया। परंतु अचानक ही इन छात्रों की छात्रावृत्ति बंद करने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा ले लिया गया।
छात्रावृत्ति के अभाव में तकनीकी संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उनके पास इतना पैसा नहीं है किवे अपनी पढ़ाई का खर्च वहन कर सके। अगर सरकार द्वारा इन छात्रों को छात्रावृत्ति नहीं दी जाती है तो इन छात्रों का भविष्य बर्बाद हो जायेगा।