लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता गायत्री प्रजापति को जमानत मिल गई है। वह गैंगरेप के आरोप में जेल में बंद थे। लखनऊ की पॉस्को कोर्ट ने गायत्री प्रजापति समेत 3 अन्य को जमानत दी है।
गौरतलब है कि मामले में यूपी सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि पूर्व मंत्री समेत बाकी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की जांच चल रही है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी से कहा है कि स्टेटस रिपोर्ट की कॉपी पीड़िता को भी सौंपी जाए।
ये है मामला:-
एक महिला ने गायत्री प्रजापति पर विधानसभा चुनाव से पहले गैंगरेप का आरोप लगाया था। यूपी पुलिस के मामला दर्ज न करने पर पीड़िता तो सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने गायत्री के खिलाफ मामला दर्ज किया और उसके कई दिनों बाद उन्हें गिरफ्तार किया। तब से गायत्री प्रजापति जेल में बंद थे।
फर्श से अर्श तक का सफर
एक मंत्री होने के बाबजूद चंद सालों में फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाले गायत्री प्रजापति ने करोड़ों की सपंत्ति यूं ही नहीं इकट्ठा कर ली बल्कि इसके पीछे एक बहुत लंबी कहानी है। इस कहानी में जितनी उनकी मेहनत है उतना ही यादव परिवार, या यूं कहें कि मुलायम सिंह यादव का सहयोग है। गायत्री को करीब से जानने वालों का कहना है कि वो साल 2002 तक उनकी और उनके परिवार की स्थिति ये थी कि वो बीपीएल कार्ड धारक थे यानी ग़रीबी की रेखा से नीचे आते थे।
आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2002 में हुए विधानसभा चुनावों में गायत्री ने चुनाव लड़ने के लिए जो हलफनामा दिया उसमें उन्होंने अपनी संपत्ति कुछ हजार रुपये बताई थी। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों तक उनके पास करोड़ों की जायदाद इकट्ठा हो गई अब जिसका आंकलन करना भी मुश्किल है।
मुलायम के खास:-
हर कोई जानता है कि समाजवादी पार्टी में जो शख्स मुलायम सिंह यादव खास हो गया उसका करियर परवान चढ़ना लाजिम है। गायत्री के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ चंद दिनों में गायत्री ने वो सफर तय कर लिया, जिसका राजनेता सपना देखते हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खनन में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की बात कही थी। लेकिन इन आरोपों के बावजूद गायत्री में मुलायम सिंह का विश्वास बरकरार रखा। भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर अखिलेश ने कैबिनेट से उन्हें बर्खास्त कर दिया लेकिन मुलायम के दबाब बनाने के बाद उनकी वापसी हुई।
(नितिन गुप्ता)