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कांग्रेस ने साधा निशाना कहा जीएसटी एक क्रूर मजाक बनकर रह गया

yatri 1 कांग्रेस ने साधा निशाना कहा जीएसटी एक क्रूर मजाक बनकर रह गया

नई दिल्ली। कांग्रेस ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कई खामियां गिनाते हुए उसे एक क्रूर मजाक करार दिया है। पार्टी ने रियल स्टेट, इलेक्ट्रिसिटी और पेट्रोलियम को जीएसीटी में लाने और जीएसटी की अधिकतम सीमा 18 प्रतिशत करने की मांग की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को विशेष संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसटी ट्रायल होना चाहिए था और जीएसटी को दो महीने बाद लागू करना चाहिए था। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र से रियल स्टेट, इलेक्ट्रिसिटी और पेट्रोलियम को जीएसीटी के दायरे में लाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सभी अप्रत्यक्ष करों के एकीकरण में जीएसटी फेल है।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि जीएसटी की जो परिकल्पना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार तथा डॉ विजय केलकर एवं डॉ पार्थसारथी शोम जैसे कर विशेषज्ञों ने की थी, मोदी सरकार का जीएसटी उससे कोसों दूर है। इसके अलावा स्वयं भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी कहा है कि जिस जीएसटी की कल्पना की गयी थी, उसी रूप में इसे लागू किया जाना चाहिए था। चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी को जिस तरह से लागू किया गया है, वह एक क्रूर मजाक बन कर रह गया है।

चिदंबरम ने 1 जुलाई, 2017 से लागू हुए जीएसटी पर कांग्रेस पार्टी के रूख स्पष्ट करते हुए कहा जीएसटी की परिकल्पना सभी वस्तुओं और सामान पर एकल टैक्स (सिंगल टैक्स) के रूप में की गई थी, जो हर तरह के अप्रत्यक्ष टैक्स को समाप्त कर देगा। जीएसटी में सिंगल दर का मतलब है एक स्टैंडर्ड दर व एक और स्टैंडर्ड प्लस दर (जो कि डिमेरिट वस्तुओं यानि लक्ज़री गुड्स व सेवाओं पर लगेगा) तथा एक स्टैंडर्ड माईनस दर (जो कि मेरिट वस्तुओं यानि आम उपभोग की वस्तुओं पर लगेगा)।

कुछ वस्तुएं व सेवाएं पूरी तरह से कर मुक्त रहेंगे। कांग्रेस पार्टी व यूपीए सरकार ने इस जीएसटी की परिकल्पना की थी, जिसकी घोषणा मैंने 28-02-2016 को एक निर्धारित लक्ष्य के रूप में की थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता, यशवंत सिन्हा ने भी यही माना कि हमें ऐसा ही जीएसटी डिज़ाईन करके लागू करना चाहिए था।

जीएसटी- एक क्रूर मजाक बनकर रह गया
चिदंबरम ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने जो जीएसटी लागू किया है, उसमें सात या उससे भी ज्यादा टैक्स दरें हैं। यह जीएसटी की सरल प्रणाली के साथ एक भद्दा मजाक है। जब जीएसटी में अनेकों टैक्स दरें होंगी, यानि 0.25, 3, 5, 12, 18, 28 प्रतिशत और 40 प्रतिशत और इसके अलावा सरकारों के राजस्व हित साधने के लिए और दरें बनाने का प्रावधान होगा, तो फिर हम भारत को ‘एक देश, एक टैक्स’ की व्यवस्था वाला देश कैसे कह सकते हैं? भाजपा सरकार को सभी राजनैतिक दलों से चर्चा कर टैक्स की तीन दरों पर आम सहमति बनानी चाहिए थी, लेकिन सरकार इसमें बुरी तरह से विफल हो गई।

यदि यह जीएसटी कांग्रेस की यूपीए सरकार ने बनाया होता, तो निश्चित ही हम एक टैक्स दर (तीन स्लैब्स के साथ) के लिए प्रतिबद्धता से काम करते। इसके अलावा हम जीएसटी की अधिकतम सीमा 18 प्रतिशत पर ही तय करते। यही जीएसटी सभी के लिए उपयोगी एवं व्यवहारिक साबित होता। मौज़ूदा सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भी जीएसटी में 15 से 15.5 प्रतिशत की दर का सुझाव दिया था और दिखाया था कि यही एक राजस्व न्यूट्रल दर (रेवेन्यू न्यूट्रल रेट) है। यदि यह रिपोर्ट सही है, तो सरकार ने 28 प्रतिशत और 40  प्रतिशत की ऊंची टैक्स दर क्यों रखी देश इसके लिए तैयार नहीं था
चिदंबरम ने कहा कि सबको यह मालूम है कि चाहे प्रशासन हो या बिज़नेस, खासकर छोटे और मध्यम व्यवसायी, जीएसटी लागू किए जाने के लिए या तो तैयार नहीं हैं या फिर उनकी तैयारी अधूरी है। व्यवसायों को अधिक समय की जरूरत थी और जीएसटी का क्रियान्वयन दो महीनों के लिए टाल दिया जाना चाहिए था। जीएसटीएन को भी ट्रायल रन पर लागू किया जाना चाहिए था और यदि इसमें कोई कमियां पाई जातीं, तो उन्हें दूर किया जाना चाहिए था। कर की अनेकों दरों बारे बार बार दिए जाने वाले निवेदनों का समाधान किया जाना चाहिए था। व्यवसायियों को हर माह तीन रिटर्न भरने की प्रक्रिया में पूरी तरह से ढलने के लिए समय मिलना चाहिए था। कई राज्यों में बिज़नेस करने पर टैक्स भरने की प्रक्रिया में आने वाली विशेष समस्याओं का समाधान किए जाने की जरूरत थी।

कांग्रेस पार्टी जीएसटी लागू किए जाने पर रखेगी नजर
चिदंबरम ने कहा, ‘हम छोटे व मध्यम व्यवसायियों, कई राज्यों में बिज़नेस करने वालों तथा ग्राहकों की समस्याओं को उठाते रहेंगे। हम मांग करेंगे कि पेट्रोलियम उत्पाद, बिजली और रियल ईस्टेट भी जीएसटी के दायरे में लाए जाएं। हम दरों में कमी करने का दबाव बनाएंगे। हम टैक्स की अधिकतम सीमा 18 प्रतिशत रखने की मांग रखेंगे। हम एंटी-प्रॉफिटीयरिंग अथॉरिटी (मुनाफाखोरविरोधी अधिकरण) को दी गई कठोर शक्तियों के दुरुपयोग पर नजर रखेंगे।‘

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