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कांग्रेस में बागियों की वापसी पर खामोश संगठन

congreess कांग्रेस में बागियों की वापसी पर खामोश संगठन

शिमला। हिमाचल में कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध कार्य करने वाले बागियों की घर वापसी आसान नहीं दिख रही है। निष्कासित किए जाने या पार्टी छोड़कर जाने वाले बागी नेताओं की वापसी पर संगठन खामोश है, जिससे लग रहा कि पहले की तरह उनकी वापसी आसानी से नहीं की जाएगी। संगठन की मजबूती के लिए कांग्रेस पार्टी एकतरफा फैसला लेने से बच रही है। कांग्रेस में बागियों की वापसी को लेकर अनुशासन समिति पहले ही अपनी सिफारिश कर चुकी है, फिर भी संगठन बागियों की वापसी पर अंतिम निर्णय नहीं ले पाया है। इसके अलावा, बागियों की वापसी को लेकर जिला और ब्लॉक कमेटियां भी अडंगा डाल रही हैं, जिसके कारण अनुशासन समिति भी बागियों की वापसी पर फैसला नहीं ले पा रही है।

congreess कांग्रेस में बागियों की वापसी पर खामोश संगठन

बता दें कि कांग्रेस पार्टी से बाहर चल रहे अधिकतर बागियों में वीरभद्र सिंह के समर्थक शामिल हैं, लिहाजा समझा जाता है कि संगठन और सरकार में चल रही खींचतान से बागियों को घर वापसी के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले वीरभद्र समर्थक हर हाल में कांग्रेस में वापसी चाहते हैं लेकिन अभी तक इस पर फैसला नहीं होने के कारण वीरभद्र समर्थक पशोपेश में हैं।

बागियों की वापसी को लेकर मुख्यमंत्री वीरभद्र और पार्टी अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू के बीच हुई बैठक में भी चर्चा हुई थी। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने और संगठन विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने पर कांग्रेस ने कई नेता और पदाधिकारियों को निष्कासित कर दिया था।

इस बारे में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव एवं मीडिया विभाग के अध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा कि पार्टी से निष्कासित चल रहे कुछ बागियों की वापसी को लेकर अभी जिला और ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों की सिफारिश नहीं मिली है। जिला और ब्लॉक कमेटियों की सहमति मिलने के बाद ही पार्टी अध्यक्ष इस बारे अंतिम निर्णय लेगें। उल्लेखनीय है कि हिमाचल कांग्रेस के करीब 33 नेता और पदाधिकारी संगठन से निलंबित चल रहे है। इनमें चार पूर्व विधायक देहरा से योगराज, घुमारवी से कश्मीर सिंह, आनी से ईश्वर दास और करसोग से मस्त राम भी शामिल हैं। पूर्व में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े चुके धर्मवीर धामी भी संगठन से बाहर चल रहे हैं। साथ ही युवा नेता यदुपति भी निष्कासन की मार झेल रहे हैं।

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