नई दिल्ली। ड्रैगन ने फिर एक बार भारत के खिलाफ अपनी नई चाल खेल दी है। चीन एक बार फिर पाकिस्तान के आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर भारत की ओर से वैश्विक प्रतिबंध लगाने की मांग पर अपना विरोध जताकर अड़ंगा लगा दिया है। चीन ने साफतौर पर कहा है कि मौलाना मसूद अजहर पर वह किसी तरह के प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है। चीन के विदेश मंत्री गेंग सुआंग ने मीडिया से बातचीत में साफतौर पर कहा कि वे प्रतिबंध के पक्ष में कतई नहीं हैं।
उन्होने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि इस मुद्दे पर कई बार बातचीत की गई है। उनका कहना है कि निष्पक्षता, व्यावसायिकता और न्याय के सिद्धांतों को किसी भी हाल में बरकरार रखना ही प्राथमिकता है। इसलिए मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध का सवाल ही नहीं उठता है। हांलाकि भारत की ओर से इस मामले में कई बार चीन के ऊपर दबाब भी बनाया गया है। लेकिन भारत की कोई अपील अभी तक सार्थक नहीं हुई है। इस बार भारत चीन के ऊपर मल्टी-लेटरल फोरम के जरिए दबाव बनाना चाह रहा था। लेकिन चीन ने भारत के इस प्रस्ताव को एक बार फिर खारिज कर दिया है।
भारत कई बार अजहर मसूद पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर चुका है। भारत का कहना है कि बीते 18 मई को ब्रिक्स मीटिंग में भी चीन ने इस प्रस्ताव का विरोद किया था। भारत कई बार यूएन में अजहर मसूद को ब्लैकलिस्ट कराने के लिए प्रस्ताव रख चुका है। उसका मानना है कि अगर यूएन ने प्रस्ताव पर मुहर लगा दी तो अजहर मसूद की विदेश यात्राओं पर प्रतिबंध लग जायेगा । इसके साथ ही उसकी विदेशों में करोड़ों अरबों डॉलरों की प्रापर्टी जब्त हो जायेगी। लेकिन चीन ने इसका विरोध करते हुए वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर इसे खारिज करा दिया था।
भारत की ओर से यह प्रस्ताव पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान यूएन में लाया गया था। जब चीन ने वोटो का प्रयोग कर इसे खारिज करा दिया था। इसके बाद सरकार बदल गई डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद से इस मुद्दे पर भारत की पहल अब एक बार फिर शुरू हुई है। लेकिन चीन द्वारा इसका विरोध शुरू होने से एक बार फिर इस मुद्दे को लेकर संकट के बादल सामने आ गये हैं।