बीजिंग। उत्तर कोरिया संकट के चलते चीन ने अपनी एयरलाइन एयर चाइना की उत्तर कोरिया जाने वाली सभी फ्लाइटस को अनिश्चितकाल के लिए स्थागित कर दिया है। उत्तर कोरिया से नजदीकी संबंध रखने वाले चीन का उत्तर कोरिया के खिलाफ एक बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है। चीन के इस कदम से अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को झेल रहा उत्तर कोरिया अब विश्व में एक दम अकेला पड़ सकता है। हालांकि चीन सरकार ने एयर चाइना के इस निर्णय को व्यासायिक कारणों से उठाया गया कदम बताया है। आपको बता दें कि एयर चाइना की उड़ानों को उत्तर कोरिया में जाने से रोकने का फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन दौरे के चंद दिनो बाद लिया गया है।
इस दौरे में ट्रंप ने चीन के साथ व्यापारिक समझौता करते हुए उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाने को कहा था। उसी के बाद चीन ने अपने विशेष दूत को उत्तर कोरिया भेजा था, लेकिन विदेश दूत के चार दिवसीय उत्तर कोरिया की यात्रा से कोई समाधान नहीं निकला था। बता दें कि अमेरिका उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार और मिसाइल विकास कार्यक्रम को रुकवाना चाहता है। एयर चाइना ने कम यात्री संख्या के चलते सबसे पहले अप्रैल में उत्तर कोरिया के लिए उड़ानें रोकी थीं लेकिन उन्हें जल्द ही शुरू कर दिया गया था। अब उत्तर कोरिया की सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर कोरयो ही चीन के लिए विमान सेवा देगी। यह सेवा हफ्ते में तीन दिन के लिए है। चीन सरकार ने ताजा फैसले का कोई राजनीतिक मकसद होने से इन्कार किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने कहा, एयरलाइन कंपनी अपने व्यवसाय को देखकर फैसले लेती है, उस पर सरकार का कोई दबाव नहीं होता। अमेरिका ने चीन और उत्तर कोरिया के 13 और संगठनों पर मंगलवार को प्रतिबंध लगा दिया। इन संगठनों पर उत्तर कोरिया के कोयला व्यवसाय में मदद करने का आरोप है। इससे उत्तर कोरिया के परमाणु विकास कार्यक्रम को मदद मिल रही थी। अमेरिका के इस फैसले से चीन और उत्तर कोरिया के बीच के कारोबार को और सीमित करने में मदद मिलेगी। प्रतिबंधों से प्रभावित हुई तीन चीनी कंपनियों ने पिछले पांच साल में उत्तर कोरिया के साथ 750 मिलियन डॉलर (4864 करोड़ रुपये) का कारोबार किया था।