साल 2011 और 2012 में चीन ने कम से कम अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के एक दर्जन सूत्रों को या तो बंदी बनाया था या उनको मार गिराया था। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक यह दावा किया गया है कि चीनी सरकार ने इस तरह साल 2010 के अंत में चीन ने CIA के जासूसी अभियानों को व्यवस्थागत ढंग से निष्क्रिय कर दिया। अमेरिका के 10 मौजूदा और पूर्व अधिकारियों के हवाले से बताया है कि खुफिया जानकारी से जूड़ा यह मामला पिछले कुछ दशकों में किया गया सबसे गंभीर मामला है। उन्होंने पहचान उजागर न करने की शर्त पर यह बात बताई गई है।
बता दें कि कुछ जांचकर्ताओं का मानना है कि CIA के अंदर ही कुछ लोग छिपा हैं, जबकि दूसरों का मानना है कि चीनी लोगों ने उस प्रणाली को हैक कर लिया था जिससे CIA अपने विदेशी सूत्रों से बात किया करती थी। हालांकि यह बहस अब भी सुलझ नहीं सकी है। मीडिया को कोई भी बात कहने से इनकार करने वाली CIA ने एजेंसी को भी कोई टिप्पणी देने से इनकार कर दिया।
वहीं पूर्व अधिकारियों के हवाले से कहा कि दो साल की अवधि में चीन में CIA के 20 सूत्रों को या तो मार डाला गया या बंदी बना लिया गया था चीन ने पकड़े गए अमेरिकी जासूसों में से एक को उसके सहयोगियों के सामने ही गोली मारी थी ताकि उन लोगों को चेतावनी दी जा सके जो अमेरिका के लिए जासूसी कर रहे हैं।
साथ ही अधिकारियों का कहना है कि चीन में हुआ यह नुकसान शीत युद्ध के वक्त सोवियत रूस में हुई एक बड़ी घटना के बराबर है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि उस वक्त CIA के 2 जासूसों ने अमेरिका को धोखा दिया और रूस के लिए मुखबरी की। इसकी वजह से सोवियत में काम कर रहे CIA के कई जासूस मारे गए थे। बता दें कि चीन और रूस में खुफिया नेटवर्क कायम करना एक बड़ी चुनौती माना जाता है। ऐसे में जाहिर है कि अपने जासूसों को खोने के बाद CIA को नए सिरे से काफी मेहनत करनी पड़ी होगी।